
नई दिल्ली। आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन हमारी जरूरत बन चुका है, लेकिन जब यही जरूरत आदत और फिर लत में बदल जाए, तो यह नींद, मानसिक शांति, सेहत और रिश्तों के लिए नुकसानदायक साबित होने लगती है। अगर आप दिनभर फोन हाथ में लिए रहते हैं, बिना किसी काम के बार-बार स्क्रॉल करते हैं या रात में फोन चलाते-चलाते समय का अंदाजा खो देते हैं, तो यह स्मार्टफोन एडिक्शन के संकेत हैं।
इसी बढ़ती समस्या को देखते हुए अब डिजिटल डिटॉक्स जैसे शब्द चर्चा में हैं। इसका मतलब टेक्नोलॉजी को पूरी तरह छोड़ना नहीं, बल्कि उसका संतुलित और समझदारी से इस्तेमाल करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ छोटे-छोटे बदलाव अपनाकर सिर्फ 72 घंटों में ही स्मार्टफोन की लत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
1. छोटे-छोटे ब्रेक लेना बनाएं आदत
स्मार्टफोन से पूरी तरह दूरी बनाना एकदम से मुश्किल हो सकता है। इसलिए दिन में 3 से 4 बार 5 से 30 मिनट के फोन ब्रेक तय करें। इस दौरान फोन को हाथ न लगाएं और संभव हो तो स्विच ऑफ कर दें। इससे धीरे-धीरे दिमाग फोन के बिना रहना सीखता है।
2. ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ऐप्स पर लगाएं लगाम
अगर इंस्टाग्राम, यूट्यूब या फेसबुक जैसे ऐप्स आपका ज्यादा समय ले रहे हैं, तो उन्हें होम स्क्रीन से हटा दें। साथ ही फोन के Screen Time या Digital Wellbeing फीचर से ऐप्स की समय-सीमा तय करें। इससे अनावश्यक स्क्रॉलिंग अपने आप कम हो जाएगी।
3. फोन बंद करने का तय समय रखें
रात में फोन चलाने की आदत नींद और दिमाग दोनों को नुकसान पहुंचाती है। इसके लिए एक तय समय रखें, जिसके बाद फोन को स्विच ऑफ कर दिया जाए। इससे बेहतर नींद आएगी और अगला दिन ज्यादा ऊर्जावान रहेगा।
4. गैरजरूरी नोटिफिकेशन करें बंद
लगातार बजते नोटिफिकेशन हमें बार-बार फोन उठाने पर मजबूर करते हैं। ऐसे में केवल जरूरी ऐप्स के नोटिफिकेशन ऑन रखें और बाकी सभी को बंद कर दें। यह तरीका फोन से दूरी बनाने में बेहद असरदार है।
5. फीचर फोन या स्मार्टवॉच का लें सहारा
पूरी तरह स्मार्टफोन छोड़ना जरूरी नहीं है। काम के बाद के समय में कीपैड वाले फीचर फोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, जरूरी कॉल और अलर्ट के लिए सीमित नोटिफिकेशन के साथ स्मार्टवॉच एक अच्छा विकल्प हो सकती है।
72 घंटों में दिखेंगे सकारात्मक बदलाव
विशेषज्ञों के अनुसार, स्मार्टफोन से दूरी बनाने पर दिमाग में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे केमिकल्स का संतुलन बेहतर होता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि डिजिटल डिटॉक्स का असर नशे की लत छोड़ने जैसे बदलाव पैदा करता है। सिर्फ तीन दिन का डिटॉक्स भी दिमाग को ‘रीबूट’ कर सकता है, जिससे मूड बेहतर होता है, तनाव कम होता है और ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है।
निष्कर्ष:
स्मार्टफोन हमारी सुविधा है, लेकिन जब वही आदत बन जाए तो जरूरी है कि उस पर नियंत्रण किया जाए। थोड़े से अनुशासन और सही तरीकों से डिजिटल जीवन को संतुलित बनाकर न सिर्फ सेहत बल्कि रिश्तों को भी बेहतर किया जा सकता है।