
जयपुर: राजस्थान के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुबोध अग्रवाल इसी वर्ष 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले हैं। लेकिन उनके करियर के आखिरी दिनों में ही जल जीवन मिशन (JJM) घोटाले के मामले में राज्य सरकार ने उन पर केस चलाने की मंजूरी दे दी है। इस संकट ने उनके अंतिम कार्यकाल को सुर्खियों में ला दिया है।
करियर और अनुभव:
सुबोध अग्रवाल उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और राजस्थान कैडर के 1988 बैच के अधिकारी हैं। वर्तमान में वे राजस्थान वित्त निगम के CMD पद पर तैनात हैं। अपने 35 साल के करियर में उन्होंने 40 से अधिक पदों पर काम किया और राज्य के सबसे अनुभवी नौकरशाहों में अपनी पहचान बनाई।
शैक्षिक सफर:
सुबोध अग्रवाल की स्कूली शिक्षा ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से हुई। 12वीं के बाद IIT दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। उन्होंने 1988 में UPSC पास करके आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की और राजस्थान कैडर में शामिल हुए। इसके बाद उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन सिस्टम्स एंड मैनेजमेंट, मास्टर्स इन इकॉनोमिक्स और अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके साथ ही 2011 में CCS यूनिवर्सिटी मेरठ से LLB और यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान से अर्थशास्त्र में PhD भी हासिल की।
जल जीवन मिशन केस:
राजस्थान में JJM घोटाले को लेकर प्रशासनिक और कानूनी जांच जारी है। इसी सिलसिले में सुबोध अग्रवाल सहित कई अधिकारियों के खिलाफ केस की मंजूरी दी गई है। यह मामला उनके रिटायरमेंट से ठीक पहले सामने आया है, जो उनके करियर के अंतिम चरण को चुनौतीपूर्ण बना रहा है।
निष्कर्ष:
35 वर्षों से राज्य सेवा में लगे सुबोध अग्रवाल का यह संकट दिखाता है कि अनुभवी नौकरशाह भी प्रशासनिक घोटालों और कानूनी जांच से अछूते नहीं रह सकते। रिटायरमेंट से पहले यह मामला उनके अनुभव और योगदान को लेकर नई चर्चाओं को जन्म दे रहा है।