
पटना: बिहार में उप मुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा और विभागीय नौकरशाही के बीच जारी खींचतान ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज कर दी है। हाल ही में आयोजित भूमि सुधार जनकल्याण कार्यशाला में विभाग के प्रधान सचिव सी.के. अनिल की अनुपस्थिति ने इसे और उग्र बना दिया।
कार्यशाला में जब उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने अपने संबोधन की शुरुआत की, तब विभागीय प्रधान सचिव सी.के. अनिल उपस्थित नहीं थे। इस पर पत्रकारों और राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा शुरू हो गई कि क्या यह नीतीश कुमार सरकार द्वारा मंत्री विजय सिन्हा पर प्रशासनिक लगाम कसने या उनके लिए ‘होम्योपैथिक इलाज‘ का संकेत है।
क्या है वजह?
जानकारी के अनुसार, सी.के. अनिल मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के विशेष आमंत्रण पर गया में आयोजित दो दिवसीय उच्च स्तरीय कार्यशाला में व्यस्त थे। वहां उन्होंने राजस्व और भूमि सुधार के मसलों पर एक कार्यक्रम को संबोधित किया। इसके बाद वे लंच के बाद पटना पहुंचे और भूमि सुधार जनकल्याण कार्यशाला में शामिल हुए।
इस दौरान उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने मौके का फायदा उठाते हुए सीधे अधिकारियों से संवाद किया और संबोधन के माध्यम से कई सुधार कार्यक्रमों पर जोर दिया। उनके सक्रिय नेतृत्व ने कार्यशाला में उपस्थित सभी पदाधिकारियों को मार्गदर्शन देने का अवसर भी बनाया।
मीडिया और राजनीतिक गलियारों की प्रतिक्रिया:
मीडिया में इस घटना को लेकर संदेश फैल गया कि विभागीय शीर्ष अधिकारियों और मंत्री के बीच सब कुछ संतुलित नहीं है। कार्यशाला की इस आपाधापी ने यह संकेत दिया कि नीतीश सरकार में प्रशासनिक और राजनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष:
हालांकि मामला केवल समय और कार्यक्रम की अनुकूलता से जुड़ा था, लेकिन इसे राजनीतिक विश्लेषकों ने ‘होम्योपैथिक इलाज’ के रूप में देखा है। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया कि मंत्री और नौकरशाही के बीच तालमेल बनाए रखना बिहार सरकार के लिए एक संवेदनशील चुनौती है।