
बीजिंग/शेनजेन: अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की तमाम कोशिशों के बावजूद चीन ने शेनजेन की एक हाई-सिक्योरिटी लैब में EUV (एक्सट्रीम अल्ट्रावायलेट) मशीन का प्रोटोटाइप तैयार कर लिया है। यह मशीन एडवांस लेवल की चिप्स बनाने में इस्तेमाल होगी, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्मार्टफोन और आधुनिक हथियारों जैसी तकनीकों की रीढ़ मानी जाती हैं।
EUV मशीन क्या है और क्यों है अहम?
EUV मशीनें सबसे एडवांस चिप बनाने वाली टेक्नोलॉजी हैं। इनकी मदद से सिलिकॉन वेफर पर बेहद पतली रोशनी से सर्किट उकेरे जाते हैं, जो इंसानी बाल की तुलना में हजारों गुना पतले होते हैं। जितने छोटे सर्किट होंगे, चिप उतनी ही तेज और शक्तिशाली बनती है। फिलहाल यह तकनीक सिर्फ नीदरलैंड की कंपनी ASML के पास है और अमेरिका समेत कई देश इसे चीन तक पहुंचने से रोकना चाहते थे।
चीन का सीक्रेट शेनजेन प्रोजेक्ट
रिपोर्ट के अनुसार, चीन का EUV प्रोटोटाइप इस साल की शुरुआत में तैयार हो गया था और फिलहाल टेस्टिंग में है। यह मशीन एक पूरे फैक्ट्री फ्लोर जितनी बड़ी है और सफलतापूर्वक EUV लाइट जेनरेट कर पा रही है। हालांकि अभी इस मशीन से काम करने लायक चिप बनना बाकी है। चीन सरकार का लक्ष्य है कि साल 2028 तक इस मशीन से चिप्स बननी शुरू हो जाएं, जबकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह लक्ष्य 2030 तक ही पूरा हो पाएगा।
मदद मिली ASML के रिटायर्ड इंजीनियर्स से
इस प्रोजेक्ट को चीन का “मैनहैटन प्रोजेक्ट” भी कहा जा रहा है। इसमें ASML के कई रिटायर्ड इंजीनियर्स ने अहम भूमिका निभाई, जिन्हें मोटे बोनस दिए गए और लैब में फर्जी नामों के साथ काम करने के लिए कहा गया। Huawei, सरकारी रिसर्च संस्थान और हजारों इंजीनियर्स का पूरा नेटवर्क इस मिशन को संभाल रहा है।
चुनौतियां और आगे की राह
हालांकि चीन प्रोटोटाइप बनाने में सफल रहा है, लेकिन अब उसे Zeiss जैसी जर्मन कंपनियों द्वारा बनाए जाने वाले अत्यंत सटीक ऑप्टिकल सिस्टम तैयार करना होगा। इसके लिए चीन सेकेंड-हैंड मार्किट से ASML मशीनों के पुर्जे जुटाने की कोशिश कर रहा है। अमेरिका और यूरोप के निर्यात प्रतिबंधों ने चीन की गति को थोड़ी देर के लिए रोका है, लेकिन यह केवल समय की बात है जब चीन एडवांस चिप्स में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा।