Thursday, December 18

राणा प्रताप के आगे नहीं टिकेंगी 100 करोड़ की इमारतें, विश्वराज सिंह मेवाड़ ने जताई कड़ी आपत्ति

उदयपुर, 18 दिसंबर 2025: राजस्थान सरकार की 100 करोड़ रुपये की महाराणा प्रताप टूरिज्म सर्किट योजना विवादों में घिर गई है। खुद बीजेपी विधायक और महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ ने इस योजना पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ के ऐतिहासिक स्थलों पर अल्ट्रा-मॉडर्न निर्माण और कई संग्रहालयों की स्थापना से महाराणा प्रताप की विरासत कमजोर हो सकती है।

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विश्वराज सिंह मेवाड़ ने बताया कि प्रस्तावित प्रोजेक्ट में कुंभलगढ़, गोगुंडा, हल्दीघाटी, चावंड, दिवेर और छापली को विकसित करने की योजना है। लेकिन चावंड (महाराणा प्रताप का अंतिम निवास) और हल्दीघाटी जैसे ऐतिहासिक स्थल आधुनिक इमारतों और महलों से ढक दिए जाएंगे, जो उनके जीवन और मूल्यों का सही चित्रण नहीं करेंगे।

अलग-अलग संग्रहालय से बढ़ेगा भ्रम
मेवाड़ ने कहा कि महाराणा प्रताप की विरासत केवल भव्य इमारतों या आधुनिक स्मारकों में नहीं है, बल्कि उनके आत्म-सम्मान, बलिदान और प्रतिरोध के आदर्शों में निहित है। उन्होंने चेताया कि कई संग्रहालय बनाने से भ्रम पैदा होगा और लोगों के लिए संदेश स्पष्ट नहीं रहेगा।

ऐतिहासिक युद्धक्षेत्रों पर निर्माण पर आपत्ति
हल्दीघाटी जैसे पूजनीय युद्धस्थलों पर निर्माण से उनके भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व को नुकसान पहुंचेगा। मेवाड़ ने कहा कि ऐसे स्थल निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं हैं और उनकी पवित्रता को बनाए रखना चाहिए।

परिवार और जन प्रतिनिधियों से सलाह नहीं ली गई
विश्वराज सिंह मेवाड़ ने टूरिज्म मंत्री दीया कुमारी को पत्र लिखकर कहा कि परियोजना के उद्देश्यों, रोडमैप और संरक्षण रणनीति पर उचित खुलासा नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि महाराणा प्रताप के परिवार और जन प्रतिनिधियों से सार्थक परामर्श नहीं लिया गया। उनका कहना है कि महाराणा प्रताप की पहचान केवल महलों और इमारतों तक सीमित नहीं हो सकती; उनका जीवन स्वाभिमान, संघर्ष और प्रतिरोध का प्रतीक था।

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