
वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी के प्रयासों का असर बनारस में अब साफ नजर आ रहा है। रामनगर बंदरगाह के विकास और इनलैंड वाटरवेज परियोजनाओं के विस्तार से बनारस अब उत्तर भारत का निर्माण और मरम्मत केंद्र बन गया है। पहले बड़े नाव और क्रूज खरीदने के लिए लोग मुंबई, गुजरात या चेन्नई जैसे शहरों का रुख करते थे, लेकिन अब उत्तर भारत में ही इनकी मांग पूरी हो रही है।
बड़े नाव निर्माण का केंद्र बनारस
शिप निर्माण कंपनी के प्रमुख विनय कुमार सुमन ने बताया कि 2017 तक लोग बड़े नावों के लिए दूर-दूर जाते थे। लेकिन अब बनारस में सर्टिफाइड शिपिंग कंपनी के तहत बड़े नाव और क्रूज का निर्माण किया जा रहा है। यह कदम न केवल जल पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खोल रहा है।
स्थानीय कामगारों को 95% रोजगार
निर्माण कार्य में 95% स्थानीय कामगार शामिल हैं। इनमें फिटर, वेल्डर, मिस्त्री, इंटीरियर डिजाइनर और बढ़ई शामिल हैं। पहले ये कामगार बड़े शहरों की ओर रुख करते थे, लेकिन अब बनारस में ही रोजगार उपलब्ध है।
जलमार्ग से वितरण और अंतरराष्ट्रीय विस्तार
बड़े नाव और क्रूज को गंगा के रास्ते पूर्वोत्तर राज्यों और बंगाल की खाड़ी तक पहुंचाया जा रहा है। छोटे नावों को ट्रकों के माध्यम से भेजा जाता है, जबकि बड़े पैसेंजर और कार्गो शिप सीधे गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के मार्ग से दक्षिण एशियाई देशों जैसे कंबोडिया, थाईलैंड और बांग्लादेश तक डिलीवर किए जा सकते हैं।
जल पर्यटन और आर्थिक विकास में नई उड़ान
रामनगर बंदरगाह और इनलैंड वाटरवेज परियोजनाओं के कारण पर्यटन और माल ढुलाई दोनों में वृद्धि हो रही है। अब पर्यटक बनारस में ही बड़े नावों और क्रूजों का आनंद ले सकते हैं। उत्तर भारत का यह पहला शिप निर्माण केंद्र नए रोजगार और आर्थिक विकास का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है।