Thursday, December 18

अमेरिकी दबाव के बीच भारत को ब्रिक्स की कमान, नई अध्यक्षता में किए बड़े बदलाव

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त तेवर और वैश्विक दबाव के बीच भारत को ब्रिक्स की अध्यक्षता मिली है। ब्राजील से यह कमान प्राप्त होना केवल औपचारिक नहीं बल्कि गहरे प्रतीकवाद से भरा रहा। भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स की दिशा लचीलापन, नवाचार, सतत विकास और सहयोग पर केंद्रित रहेगी, जो वैश्विक संतुलन के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।

This slideshow requires JavaScript.

ब्राजील से भारत को कमान का हस्तांतरण

ब्राजील ने भारत को अमेज़न वर्षावन की पुनर्चक्रित लकड़ी से बना प्रतीकात्मक हथौड़ा सौंपा, जो सतत विकास और आपसी सहयोग का प्रतीक है। ब्राजील के ब्रिक्स शेरपा मौरिसियो लिरियो ने बताया कि यह प्रतीक भारत की आगामी अध्यक्षता पर विश्वास को दर्शाता है। भारत आधिकारिक रूप से 1 जनवरी 2026 से ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा।

ब्राजील की अध्यक्षता में हुई प्रगति

11–12 दिसंबर को ब्रासीलिया में ब्रिक्स शेरपाओं की बैठक में ब्राजील की अध्यक्षता में 2025 तक की प्रगति का आकलन किया गया। ब्राजील ने अपनी अध्यक्षता में ब्रिक्स को सततता और समावेशी विकास पर केंद्रित रखा। रियो डी जेनेरियो शिखर सम्मेलन में तीन अहम घोषणाएं हुईं – एआई के शासन पर दिशा-निर्देश, जलवायु वित्त ढांचा और सामाजिक कारणों से फैलने वाली बीमारियों के उन्मूलन के लिए साझेदारी।

अमेरिकी दबाव और चुनौती

ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान ट्रंप प्रशासन ने ब्रिक्स पर अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने और 100% तक टैरिफ की धमकी देने का आरोप लगाया। भारत की अध्यक्षता ऐसे समय शुरू हो रही है जब अमेरिकी नीति वैश्विक व्यापार और कूटनीति को अस्थिर कर रही है।

भारत की रणनीति

भारत ने साफ किया है कि उसकी अध्यक्षता लचीलापन, नवाचार और बहुपक्षीय सहयोग पर आधारित होगी। जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वैज्ञानिक सहयोग और विकास वित्त के मुद्दों पर पहले की गई पहलों को आगे बढ़ाया जाएगा। भारत का यह कदम न केवल ब्रिक्स के लिए, बल्कि ट्रंप के नेतृत्व में बदलती अमेरिकी नीति के बीच वैश्विक संतुलन बनाए रखने के लिहाज से भी अहम है।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के सामने यह चुनौती होगी कि वह ब्रिक्स को अमेरिकी विरोधी मंच बनने से बचाते हुए उसे सकारात्मक बहुपक्षीय सहयोग और विकास का विकल्प प्रदान करे। आगामी वर्ष में भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता उसके लिए वैश्विक कूटनीति की अग्निपरीक्षा साबित होगी।

Leave a Reply