
नई दिल्ली: शेयर बाजार रेगुलेटर SEBI ने म्यूचुअल फंड (MF) नियमों में बड़े बदलावों को मंजूरी दी है। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों के खर्चे कम करना और पारदर्शिता बढ़ाना है। अब निवेशकों को साफ-साफ पता चल सकेगा कि उनका पैसा कहां और किस हद तक कट रहा है।
1. एक्सपेंस रेश्यो में बदलाव
SEBI ने तय किया है कि अब सरकारी टैक्स जैसे STT, GST, CTT और स्टैम्प ड्यूटी को म्यूचुअल फंड की खर्च सीमा (Expense Ratio Limit) से अलग रखा जाएगा। इसे Base Expense Ratio कहा जाएगा। इससे भविष्य में अगर सरकार टैक्स बढ़ाती या घटाती है, तो इसका सीधा असर निवेशकों पर स्पष्ट रहेगा।
2. अतिरिक्त चार्ज खत्म
2012 में शुरू किया गया MF कंपनियों द्वारा वसूला जाने वाला 5 बेसिस पॉइंट (bps) का अतिरिक्त चार्ज अब पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। SEBI ने इसे अस्थायी बताया था और अब इसे हटाने से निवेशकों की लागत कम होगी।
3. ब्रोकरेज चार्ज में कटौती
- कैश मार्केट ट्रांजेक्शन: 12 bps से घटाकर 6 bps
- डेरिवेटिव्स: 5 bps से घटाकर 2 bps
4. प्रदर्शन आधारित फीस
अब म्यूचुअल फंड कंपनियों को यह विकल्प मिलेगा कि वे फंड के प्रदर्शन के आधार पर फीस वसूल सकें। हालांकि, यह पूरी तरह कंपनियों की मर्जी पर निर्भर होगा।
5. डिजिटल और आसान प्रक्रियाएं
- पुराने नियमों के अनुसार बदलावों के लिए अखबार में विज्ञापन देने की जरूरत नहीं। अब सभी सूचनाएं ऑनलाइन दी जा सकेंगी।
- ट्रस्टी मीटिंग्स की संख्या घटाई गई है।
- सालाना रिपोर्ट अब डिजिटल माध्यम से भेजी जाएगी।
- इस सफाई अभियान के चलते नियमों की किताब 44% पतली हो गई है, जो अब 162 पेज से घटकर 88 पेज रह गई है।
निष्कर्ष: SEBI के इन सुधारों से म्यूचुअल फंड निवेशकों को कम खर्च, अधिक पारदर्शिता और आसान लेनदेन मिलेगा। साथ ही फंड हाउस की प्रक्रियाएं भी सरल और डिजिटल हो गई हैं।