
नई दिल्ली: भारत के न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सरकार ने सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल 2025 लोकसभा में पेश कर दिया है। इस बिल के कानून बनने के बाद एटॉमिक एनर्जी एक्ट, 1962 और सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 दोनों में संशोधन या उन्हें पूरी तरह से बदल दिया जाएगा।
विदेशी निवेश की संभावना:
SHANTI बिल पास होने के बाद न्यूक्लियर सेक्टर में संभावित विदेशी फंडिंग का मार्ग खुल सकता है। विशेष रूप से पश्चिम एशिया के सॉवरेन फंड और अन्य विदेशी निवेशकों ने भारत के न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट्स में आंशिक निवेश करने में रुचि दिखाई है। इसमें SMRs (छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर) की मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू चेन में भागीदारी भी शामिल है, जो भविष्य में न्यूक्लियर एनर्जी को कमर्शियली प्रतिस्पर्धी विकल्प बनाए रखने के लिए अहम मानी जा रही है।
कानून बनने पर मुख्य बदलाव:
- अब भारतीय निजी कंपनियां परमाणु बिजली संयंत्र और रिएक्टर बनाने के साथ-साथ उनके मालिकाना हक, संचालन और बंद करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगी।
- इससे पहले यह कार्य केवल सरकारी उपक्रम और न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा ही किया जाता था।
- परमाणु दुर्घटना की स्थिति में पूरी जिम्मेदारी संयंत्र के संचालक पर होगी, जबकि उपकरण सप्लायर्स की जिम्मेदारी इससे अलग रखी गई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि SHANTI बिल भारत के सस्टेनेबल एनर्जी लक्ष्य और न्यूक्लियर पावर क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह बिल कोयले पर निर्भरता कम करने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने में भी मदद करेगा।