
जयपुर: राजस्थान में विधायक निधि कमीशन कांड ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। एक मीडिया समूह द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में तीन विधायक – भाजपा के रेवंत राम डांगा, कांग्रेस की अनीता जाटव और निर्दलीय ऋतु बनावत – पर निधि से पैसे के बदले कमीशन मांगने के आरोप सामने आए हैं।
मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने मामले की तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने विधायकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
पार्टी कर सकती है निष्कासन की कार्रवाई
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने रेवंत राम डांगा को तीन दिन में जवाब देने का निर्देश दिया है। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा के निर्देश पर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अनीता जाटव को नोटिस भेजा है। यदि विधायकों के जवाब से पार्टी नेतृत्व संतुष्ट नहीं होता है, तो उन्हें पार्टी से निष्कासित किया जा सकता है।
स्पीकर कर सकते हैं सदस्यता समाप्त
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने याचिका एवं सदाचार समिति को मामले की जांच के आदेश दिए हैं। समिति अपनी रिपोर्ट स्पीकर को पेश करेगी। यदि समिति विधायकों को दोषी पाती है, तो स्पीकर उनकी सदस्यता समाप्त कर सकते हैं।
विशेष बात यह है कि स्पीकर का निर्णय सभी के लिए अंतिम और बाध्यकारी होगा। वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश जैमीनी के अनुसार, इस फैसले को हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।
समिति का ढांचा
याचिका एवं सदाचार समिति में सभापति सहित 12 सदस्य हैं। बगरू से भाजपा विधायक कैलाश चंद वर्मा इस समिति के सभापति हैं। अन्य सदस्य हैं – अभिमन्यु पूनिया, गणेश घोगरा, जयदीप बिहानी, सुखवंत सिंह, जेठानंद व्यास, बालमुकुंद आचार्य, भगवाना राम सैनी, मोतीराम, विरेंद्र सिंह, हंसराज पटेल और राजेंद्र गुर्जर।
समिति का कार्य गंभीर मामलों की सुनवाई और अनुशंसा करना है। अब यह देखने की बात होगी कि विधायकों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है और सियासी हलचल कितनी तेज़ होती है।