
जयपुर (संभ्रत चतुर्वेदी): राजस्थान में विधायकों की कमीशनबाजी के स्टिंग के बाद अब अफसरों की भी पोल खुल गई है। स्टिंग ऑपरेशन में आरोप लगे हैं कि कुछ अफसरों ने विकास कार्यों के लिए अपने हिस्से के 5 से 10 प्रतिशत कमीशन की मांग की।
खबर है कि नागौर जिले के मूंडवा के मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (सीबीईओ) कैलाश राम और करौली के जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) पुष्पेंद्र शर्मा ने विधायकों के अनुशंसा पत्रों के आधार पर हिस्सा मांगा। खींवसर के विधायक रेवंतराम डांगा के अनुशंसा पत्र पर कैलाश राम ने 5 प्रतिशत और हिंडौन विधायक अनीता जाटव के पत्र पर पुष्पेंद्र शर्मा ने 10 प्रतिशत कमीशन लेकर वर्क ऑर्डर जारी करने की सहमति दी।
सरकार भी कर रही कार्रवाई की तैयारी
स्टिंग वीडियो सार्वजनिक होने के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधायकों के विधायक फंड के खाते सीज कर उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति 15 दिन में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपेगी। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी सदाचार समिति को जांच के आदेश दिए हैं। अब अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
विकास कार्यों का केवल 30 प्रतिशत खर्च
स्टिंग ऑपरेशन के अनुसार, विकास कार्यों के लिए स्वीकृत राशि में से केवल 30 प्रतिशत ही वास्तविक कार्यों में खर्च होता है। शेष 70 प्रतिशत राशि में से 40–50 प्रतिशत विधायक, 10–15 प्रतिशत अफसर और करीब 20 प्रतिशत कार्य करने वाली फर्म के मुनाफे में बंट जाता है।
सोशल मीडिया पर आम लोग इसे लेकर गुस्से में हैं और पूरे सिस्टम को कोस रहे हैं।