Monday, December 15

बीजेपी का बड़ा सरप्राइज: बिहार के मंत्री नितिन नबीन बने पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्षमोदी-शाह के फैसले पर गुजरात में नेता हुए हैरान, राजनीतिक हलकों में खलबली

अहमदाबाद (अचलेंद्र कटियार) – बीजेपी ने खरमास के महीने से पहले ही पार्टी के सर्वोच्च पद के लिए नया चेहरा तय कर दिया। रविवार को बिहार के मंत्री नितिन नबीन के नाम का ऐलान होते ही पार्टी के नेता और गुजरात के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया। पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात के नेता इस फैसले को सबसे बड़ा सरप्राइज बता रहे हैं।

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नेताओं के लिए अचानक झटका
45 साल के नितिन नबीन का नाम राजनीतिक चर्चा में कहीं भी नहीं था। उनके ऐलान के तुरंत बाद बीजेपी के नेता उनके बारे में जानकारी जुटाने में लग गए। पार्टी ने इस कदम के जरिए साफ कर दिया कि मोदी-शाह की जोड़ी कभी भी पारंपरिक राजनीतिक अनुमान को चुनौती दे सकती है। गुजरात बीजेपी संगठन से जुड़े नेताओं ने कहा कि उन्होंने नितिन नबीन के नाम पर पूरी तरह से चौंक गए और यह निर्णय पार्टी की रणनीति और संगठन क्षमता का प्रमाण है।

भीखू भाई दलसानिया का योगदान संभव
विश्लेषकों के अनुसार बिहार में लंबे समय तक संगठन मंत्री रहे भीखू भाई दलसानिया ने संभवतः इस फैसले में इनपुट दिया होगा। दलसानिया ने पहले गुजरात में 15 साल तक बीजेपी के संगठन महामंत्री के रूप में काम किया है और उनका अनुभव पार्टी नेतृत्व के लिए अहम माना जाता है।

बीजेपी की रणनीति: नए चेहरों पर दांव
बीजेपी का यह कदम पिछली बार 2021 में गुजरात में लागू हुई नो रिपीट थ्योरी की तरह ही अचानक और रणनीतिक है। तब भी पार्टी ने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना कर सभी को चौंका दिया था। नितिन नबीन का चयन भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जहां पार्टी ने ऐसे नेताओं को तरजीह दी जो सुर्खियों से दूर रहते हैं, लेकिन संगठन और कार्यकुशलता में माहिर हैं।

नेताओं की प्रतिक्रिया
गुजरात के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यह फैसला पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की सहमति और रणनीतिक सोच पर आधारित है। पार्टी ने साफ संदेश दिया है कि किसी भी अनुमान और मीडिया चर्चाओं को पार्टी नेतृत्व प्रभावित नहीं कर सकता

नाम और पहचान
नितिन नबीन का नाम स्थानीय बोलचाल में ‘नवीन’ से लिया गया है, और बिहार में ‘ब’ शब्द के प्रचलन के कारण नबीन हो गया। उनका यह नया पद न सिर्फ पार्टी संगठन को मजबूत करेगा, बल्कि आगामी चुनावों और राजनीतिक रणनीतियों में अहम भूमिका निभाएगा।

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