
सुप्रीम कोर्ट में कर्मचारियों के वेतन को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है। पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के कार्यकाल के दौरान कुछ चुनिंदा कर्मचारियों को मनमाने ढंग से अतिरिक्त इंक्रीमेंट दिए जाने की प्रथा लंबे समय तक जारी रही। लेकिन अब फुल कोर्ट मीटिंग में इस प्रथा को बंद करने और पिछले चार सालों में दिए गए अतिरिक्त इंक्रीमेंट वापस लेने का फैसला किया गया है।
क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में?
सुप्रीम कोर्ट में सामान्य वेतन वृद्धि साल में एक बार होती है, लेकिन हाल के वर्षों में कुछ CJI रिटायरमेंट से पहले अपनी मर्जी से कुछ कर्मचारियों को 2 से 6 अतिरिक्त इंक्रीमेंट दे देते थे। इसका असर यह हुआ कि कुछ कर्मचारियों का वेतन सामान्य से डेढ़ गुना तक बढ़ गया।
पूर्व CJI बी.आर. गवाई ने इस गड़बड़ी को सुधारने के लिए सभी जजों की फुल कोर्ट मीटिंग बुलाई। मीटिंग में सभी जजों ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट कोई राजशाही नहीं है और CJI कोई राजा नहीं हैं जो अपनी मर्जी से इंक्रीमेंट बांट दें।
कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका
जिन कर्मचारियों को अतिरिक्त इंक्रीमेंट मिला था, उनका वेतन अचानक कम कर दिया गया। कई कर्मचारियों ने बताया कि उनके मासिक वेतन में अब 40,000 रुपये तक की कमी आई है। कुछ ने आरोप लगाया कि तत्कालीन CJI को गलत जानकारी देकर उन्हें गुमराह किया गया।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
कर्मचारियों का कहना है कि इन अतिरिक्त इंक्रीमेंट को भविष्य के सालाना वेतन वृद्धि में समायोजित किया जाना चाहिए था, ताकि अचानक वित्तीय झटका न लगे और उनकी आर्थिक योजनाएं प्रभावित न हों।