
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान ड्यूटी पर मृत डॉक्टरों के परिजन केंद्र सरकार की बीमा योजना के लाभ पाने के हकदार हैं, भले ही वे सरकारी ड्यूटी पर औपचारिक रूप से न लगे हों।
मुख्य बातें:
- अदालत ने कहा कि “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज: कोविड-19 से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा योजना” के तहत ऐसे डॉक्टरों के परिजन मुआवजा पाने के पात्र हैं।
- सुप्रीम कोर्ट की पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की बेंच ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें निजी डॉक्टरों के परिजन को बीमा योजना से वंचित रखा गया था।
- न्यायालय ने जोर दिया कि कोविड-19 के दौरान जो डॉक्टर सक्रिय रूप से चिकित्सा सेवा दे रहे थे और जिनकी मृत्यु वायरस के कारण हुई, उनके परिवार को मुआवजे से वंचित नहीं रखा जा सकता।
मुख्य याचिकाकर्ता का मामला:
- डॉ. बी.एस. सुरगड़े, आयुर्वेदिक चिकित्सक, जून 2020 में कोविड-19 के कारण ड्यूटी के दौरान मृत्यु के शिकार हुए।
- उनकी पत्नी ने योजना के तहत 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था।
- इंश्योरेंस कंपनी ने दावा खारिज कर दिया क्योंकि डॉ. सुरगड़े सरकारी ड्यूटी पर औपचारिक रूप से तैनात नहीं थे।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण:
- अदालत ने स्पष्ट किया कि सामाजिक और सार्वजनिक महत्व को ध्यान में रखते हुए ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों के परिजन को बीमा योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।
- जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, “अगर हम अपने डॉक्टरों की देखभाल नहीं करेंगे, तो समाज हमें माफ नहीं करेगा।”
- फैसले में दो मुख्य बातें तय की गईं:
- क्या डॉक्टर महामारी के दौरान सक्रिय रूप से चिकित्सा सेवाएँ दे रहे थे।
- क्या उनकी मृत्यु कोविड-19 संक्रमण के कारण हुई।
निष्कर्ष:
यह फैसला न केवल निजी और सरकारी डॉक्टरों के लिए बल्कि महामारी के दौरान ड्यूटी देने वाले सभी स्वास्थ्यकर्मियों और उनके परिवारों के लिए सुरक्षा और न्याय का प्रतीक है।