Wednesday, December 10

सऊदी अरब-पाकिस्तान परमाणु सुरक्षा डील: भारत का खाड़ी देशों पर असर घटा? अमेरिकी विशेषज्ञ की चिंता

रियाद/नई दिल्ली: सऊदी अरब और पाकिस्तान ने अचानक परमाणु सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के तहत दोनों देशों में से किसी पर हमला अन्य देश पर हमला माना जाएगा। अमेरिकी विशेषज्ञ जीन लूप का मानना है कि इस कदम को कतर पर इजरायल के हालिया हमले और खाड़ी क्षेत्र की बढ़ती असुरक्षा से जोड़कर देखना चाहिए।

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विशेषज्ञों के अनुसार, सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच यह रिश्ता नया नहीं है। लंबे समय से पाकिस्तानी सैनिक सऊदी सेना को ट्रेनिंग और सुरक्षा में सहायता करते रहे हैं। साल 1963 से पाकिस्तानी सैनिक मक़्का और मदीना सहित सऊदी अरब की जमीन की सुरक्षा में तैनात हैं।

जीन लूप ने बताया कि खाड़ी क्षेत्र में भारत का प्रभाव घटता जा रहा है, खासकर सऊदी अरब, यूएई और ओमान के चीन की ओर झुकाव के कारण। सऊदी अरब ने यमन युद्ध में पाकिस्तान के असहयोग के बाद चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए। अब कई खाड़ी देशों ने चीन से मिसाइल और ड्रोन खरीद लिए हैं, और ओमान में चीनी नौसेना की मौजूदगी भी बढ़ गई है।

भारत खाड़ी देशों में निवेश और रणनीतिक भूमिका के लिए सक्रिय रहा है। 97 लाख भारतीय खाड़ी देशों में रहते हैं, और 2024 में भारत को वहाँ से 47 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा प्रवाह मिला। प्रधानमंत्री मोदी के दौरे और द्विपक्षीय सहयोग के बावजूद, खाड़ी देशों के चीन और पाकिस्तान के करीब जाने से भारत के लिए क्षेत्रीय चुनौतियाँ बढ़ गई हैं।

जीन लूप ने कहा कि भारत को खाड़ी देशों में अपनी पश्चिम एशिया नीति और रणनीति पर और काम करना होगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ने सऊदी अरब को अपनी संवेदनशीलता के बारे में आगाह किया है, जिससे इस क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने का प्रयास जारी है।

विशेषज्ञों के अनुसार, सऊदी अरब-पाकिस्तान डील खाड़ी देशों में भारत की भूमिका को चुनौती दे सकती है, लेकिन यह भारत के लिए पूरी तरह खेल खत्म होने का संकेत नहीं है।

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