Friday, December 5

तमिलनाडु में बदली कांग्रेस की रणनीति — अब नहीं बनेगी ‘जूनियर पार्टनर’, डीएमके से मांगी 40 सीटें

चेन्नै। तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं। दो दशकों से डीएमके के साथ गठबंधन में रहते हुए भी सत्ता से बाहर रही कांग्रेस ने इस बार ‘जूनियर पार्टनर’ की अपनी छवि से बाहर निकलने का फैसला किया है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने डीएमके प्रमुख और मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को साफ संदेश देते हुए आगामी चुनाव में 40 विधानसभा सीटों की मांग रख दी है।

कांग्रेस का तर्क है कि गठबंधन में उसकी भूमिका मजबूत है, लेकिन सीटों और सत्ता में सहभागिता बेहद कम रही है। 2021 के चुनाव में डीएमके ने कांग्रेस को 25 सीटें दी थीं, जिनमें से 18 पर उसे जीत मिली थी, मगर सरकार में एक भी मंत्री पद नहीं मिला। इसी नाराजगी ने कांग्रेस को नए सिरे से अपनी रणनीति तय करने को मजबूर किया है।

त्रिकोणीय मुकाबला कांग्रेस को दे रहा हौसला

2026 का तमिलनाडु चुनाव त्रिकोणीय होने की पूरी संभावना है —

  1. डीएमके गठबंधन (SPA)
  2. एआईएडीएमके–बीजेपी गठबंधन (NDA)
  3. सुपरस्टार विजय की पार्टी TVK

ऐसे में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत मिलना मुश्किल माना जा रहा है। कांग्रेस मानती है कि यदि उसे अधिक सीटें मिल जाएं तो गठबंधन की सरकार निर्माण में उसकी भूमिका निर्णायक हो सकती है।

कांग्रेस 58 साल से तमिलनाडु की सत्ता से बाहर है। द्रविड़ राजनीति के उभार के बाद डीएमके और एआईएडीएमके राज्य की सत्ता पर बारी-बारी से काबिज रहे। राष्ट्रीय दल वर्षों से क्षेत्रीय दलों के जूनियर पार्टनर की भूमिका में रहे हैं। अब कांग्रेस इस स्थिति को बदलना चाहती है।

डीएमके से 15 दिसंबर तक सीट बंटवारे पर निर्णय की मांग

कांग्रेस ने सीट बंटवारे और गठबंधन की शर्तों को 15 दिसंबर तक अंतिम रूप देने का आग्रह किया है। यही नहीं, पार्टी ने हर जिले की एक–दो सीटों पर दावा भी पेश कर दिया है।

पिछले महीने कांग्रेस ने गठबंधन वार्ता के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने हाल ही में सीएम स्टालिन से मुलाकात कर 40 सीटों की औपचारिक मांग रखी।

विजय की पार्टी के साथ गठबंधन की चर्चा भी तेज

कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अभिनेता विजय की नई पार्टी TVK के साथ गठबंधन की संभावना भी जताई है। हाल ही में विजय और राहुल गांधी की बातचीत ने इन अटकलों को और हवा दे दी है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कांग्रेस दूसरे विकल्प दिखाकर डीएमके पर दबाव बनाती है तो सीटों की संख्या बढ़ाने में उसे मदद मिल सकती है।

कांग्रेस का तर्क — ‘बिना हमारे जीत मुश्किल’

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि तमिलनाडु के कई इलाकों में डीएमके की पकड़ कमजोर है, जबकि कांग्रेस के वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके बावजूद पार्टी को सत्ता में हिस्सेदारी नहीं दी जाती। इस बार कांग्रेस अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए पूरी तरह आक्रामक है।

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