
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही राहत मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक, राज्य में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमतें घट सकती हैं, क्योंकि नियामक आयोग अब पहली बार इन मीटरों के मानक दाम तय करने जा रहा है। बिजली की नई दरें जारी होने के बाद “कॉस्ट डेटा बुक” पर सुनवाई होगी, जिसके आधार पर कनेक्शन की नई दरें तय की जाएंगी।
⚡ फिलहाल यूपी में दोगुने दाम पर वसूली
राज्य में पावर कॉरपोरेशन 6016 रुपये प्रति स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर से उपभोक्ताओं से वसूली कर रहा है, जबकि अभी तक आयोग ने इन दरों को अनुमोदित नहीं किया है। आयोग ने इस पर आपत्ति जताते हुए कॉरपोरेशन को अवमानना नोटिस जारी किया था।
नोटिस के जवाब में पावर कॉरपोरेशन ने कहा है कि यह वसूली अस्थायी है और आयोग के अंतिम निर्णय तक जारी रहेगी।
🔍 अन्य राज्यों के दामों से तुलना
सूत्रों के अनुसार, यूपी में लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर अन्य राज्यों की तुलना में काफी महंगे हैं।
- राजस्थान में सिंगल फेज स्मार्ट मीटर की कीमत – ₹2500
- महाराष्ट्र में – ₹2610
- कर्नाटक में – लगभग ₹3000
ऐसे में यह संभावना है कि यूपी में भी इन्हीं राज्यों की तर्ज पर कीमतें घटाई जाएंगी।
🧾 10 साल की किश्तों में वसूली का प्रस्ताव
पावर कॉरपोरेशन ने नियामक आयोग को यह प्रस्ताव भी भेजा है कि उपभोक्ताओं से मीटर की कीमत 10 साल की आसान किश्तों में वसूली जाए। यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो उपभोक्ताओं को एकमुश्त भारी राशि चुकाने से राहत मिलेगी।
📉 आयोग करेगा गुणवत्ता और लागत का मूल्यांकन
नियामक आयोग की समिति अब अन्य राज्यों में लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की गुणवत्ता और लागत का तुलनात्मक अध्ययन करेगी। इसके बाद ही यूपी के लिए नई दरें तय की जाएंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े राज्यों में जब कम कीमतों पर ये मीटर लगाए जा सकते हैं, तो उत्तर प्रदेश में भी इसी तर्ज पर उपभोक्ताओं को राहत दी जा सकती है।
संभावना है कि आगामी सुनवाई के बाद स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमतें घटकर आधी रह जाएं, जिससे लाखों उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।