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AI की ऊर्जा भूख बुझाएगा दुनिया का पहला अनूठा ‘फास्ट-न्यूट्रॉन न्यूक्लियर रिएक्टर’

नई दिल्ली, 29 नवंबर 2025।
डिजिटल दुनिया की तेज़ी से बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए यूरोप में दुनिया का पहला ऐसा फास्ट-न्यूट्रॉन रिएक्टर तैयार किया जा रहा है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा सेंटरों की बिजली की भूख को स्थायी समाधान देगा। फ्रांस की उभरती टेक-एनर्जी कंपनी स्टेलारिया ने इस अत्याधुनिक रिएक्टर—स्टेलारियम—के निर्माण की घोषणा की है।

यह रिएक्टर न सिर्फ भारी मात्रा में बिजली पैदा करेगा, बल्कि पुराने परमाणु कचरे को भी खत्म कर सकेगा। कंपनी ने बताया कि यह नवाचार भविष्य के डेटा सेंटरों को पूरी तरह कार्बन-फ्री और ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

अमेरिकी कंपनी इक्विनिक्स बनी पहला बड़ा ग्राहक

स्टेलारिया ने अमेरिकी डेटा सेंटर दिग्गज इक्विनिक्स से 500 मेगावाट बिजली आपूर्ति का करार किया है। यह साझेदारी सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में इक्विनिक्स के डेटा सेंटर अपनी खुद की स्वच्छ बिजली पर संचालित होंगे। कंपनी ने दावा किया कि यह मॉडल AI की बिजली जरूरतों को पूरा करने में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।

2035 से मिलने लगेगी बिजली

वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष बिजली की खपत लगभग 4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है और इसका सबसे बड़ा कारण AI एवं डेटा सेंटरों की बढ़ती संख्या है। पारंपरिक बिजली ग्रिड इस भार को संभालने में असमर्थ हो रहे हैं, ऐसे में स्टेलारियम रिएक्टर जैसे विकल्प ऊर्जा संकट का मजबूत समाधान बन सकते हैं।
साल 2035 से इक्विनिक्स के डेटा सेंटरों को इस रिएक्टर से बिजली की सप्लाई शुरू हो जाएगी।

छोटा आकार, लेकिन जबरदस्त क्षमता

स्टेलारियम रिएक्टर की सबसे बड़ी खासियत इसका बहुत छोटा आकार है।

  • यह केवल 4 क्यूबिक मीटर जगह लेता है — एक छोटे कमरे जितना।
  • इसके बावजूद यह लगभग 4 लाख आबादी वाले शहर को बिजली देने की क्षमता रखता है।
  • यह 20 वर्षों तक बिना नया ईंधन डाले लगातार चल सकता है।
  • इसमें लिक्विड क्लोराइड सॉल्ट का उपयोग किया जाता है, जो पुराने रिएक्टरों का कचरा, प्लूटोनियम और थोरियम तक जला सकता है।

बिजली कटने जैसी स्थिति में भी यह रिएक्टर स्वाभाविक रूप से ठंडा हो जाता है, जिससे किसी बड़े खतरे की संभावना नहीं रहती।

चार सुरक्षा परतों से लैस होगा रिएक्टर

स्टेलारियम पूरी तरह जमीन के नीचे स्थापित किया जाएगा।

  • इसमें चार सुरक्षा लेयर होंगी—जो वर्तमान रिएक्टरों से एक अधिक हैं।
  • इसका संचालन कम दबाव पर होगा, जिससे किसी दुर्घटना की आशंका बेहद कम हो जाती है।
  • इसकी सुरक्षा इतनी उन्नत है कि इसके आसपास ‘एक्सक्लूजन जोन’ जैसी प्रतिबंधित जगह की भी जरूरत नहीं होगी।

रिएक्टर बिजली की मांग बढ़ने या घटने पर तुरंत स्वतः समायोजित भी हो जाएगा।

कंपनी का मिशन और लक्ष्य

स्टेलारिया के CEO निकोलस ब्रेटों ने कहा कि डिजिटल दुनिया तेजी से पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने बताया कि स्टेलारियम रिएक्टर भविष्य में आजीवन ऊर्जा आत्मनिर्भर डेटा सेंटरों की नींव रखेगा। कंपनी का लक्ष्य है कि 2029 तक पहली बार न्यूक्लियर चेन-रिएक्शन शुरू किया जाए और 2035 से व्यावसायिक बिजली आपूर्ति शुरू हो।

AI डेटा सेंटर कितनी बिजली खपत करते हैं?

द वर्ज के अनुसार विशेषज्ञ डी व्रीस का अनुमान है कि 2027 तक AI सेक्टर हर वर्ष 85 से 134 टेरावाट-घंटे बिजली की खपत कर सकता है।
साल 2024 में दुनिया की कुल बिजली का लगभग 1.5% सिर्फ डेटा सेंटरों ने इस्तेमाल किया था, जो 2030 तक दोगुना होकर 3% तक पहुंच सकता है।

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