Monday, December 1

भारत का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर: ‘आईएनएस विशाल’ के लिए यूके और फ्रांस में होड़, कौन बनेगा सुपरकैरियर का साझेदार?

नई दिल्ली: भारत अपने तीसरे स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत के निर्माण की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। 65,000 से 70,000 टन वजनी इस पोत को ‘आईएनएस विशाल’ नाम दिया जा सकता है। यह पोत सभी प्रकार के अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को लॉन्च और लैंड कर सकेगा, और इसे भारत के लिए समुद्र में गेम-चेंजर माना जा रहा है।

यूके और फ्रांस की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा
भारत ने इस सुपरकैरियर के निर्माण में साझेदारी के लिए यूके की बीएई सिस्टम्स और फ्रांस की नेवल ग्रुप दोनों कंपनियों के प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। भारतीय नौसेना चाहती है कि यह तीसरा विमानवाहक युद्धपोत 2035 तक तैयार हो, और मौजूदा बेड़े की तुलना में यह तकनीकी रूप से अत्याधुनिक हो।

आईएनएस विशाल की क्षमताएँ
‘आईएनएस विशाल’ भारी और ताकतवर फाइटर जेट, राफेल के एडवांस वर्जन, एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट, यूएवी और पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट लॉन्च करने में सक्षम होगा। यह पोत भारतीय नौसेना की ताकत को कई स्तरों पर बढ़ाएगा और समुद्री रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकेगा।

फ्रांस नेवल ग्रुप का प्रस्ताव
फ्रांस नेवल ग्रुप ने अपने प्रस्ताव में भारत के शिपयार्ड में निर्माण और साझा आरएंडडी (R&D) का प्रस्ताव रखा है। यह डिजाइन भारत की मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप संशोधन योग्य होगा। फ्रांस ने इस साल अप्रैल में भारत को 26 अतिरिक्त राफेल-एम फाइटर जेट बेचने का समझौता भी किया है, जो इस प्रस्ताव को और मजबूत बनाता है।

यूके की रणनीति
बीएई सिस्टम्स को हाल में हिंद महासागर में ब्रिटिश रॉयल नेवी के साथ साझा युद्धाभ्यास का अनुभव है। इसी दौरान एफ-35 बी स्टील्थ जेट ने तिरुवनंतपुरम में इमरजेंसी लैंडिंग की थी। ब्रिटिश कंपनी का दावा है कि उनके डिजाइन किए गए डेक से इस प्रकार के जेट का टेकऑफ और लैंडिंग सुरक्षित और प्रभावी है।

सुपरकैरियर के लिए भारत की तैयारी
भारतीय नौसेना के लिए यह तीसरा विमानवाहक युद्धपोत मौजूदा आईएनएस विक्रांत (45,000 टन) से भी ज्यादा क्षमतावान होगा। इसे तैयार करने का उद्देश्य भविष्य की युद्ध परिस्थितियों में भारत के समुद्री सामर्थ्य को बढ़ाना और हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त सुनिश्चित करना है।

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