
मुजफ्फरनगर, टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क: दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ मुजफ्फरनगर में एक मिसाल कायम हुई है। शादी की तिलक रस्म के दौरान दूल्हे अवधेश राणा (26) ने दुल्हन पक्ष द्वारा दी जा रही ₹31 लाख की रकम ठुकराकर सिर्फ 1 रुपये का शगुन स्वीकार किया। उनका यह कदम समारोह में मौजूद सभी मेहमानों के लिए भावुक कर देने वाला था।
तिलक में रखी 31 लाख की थाली, दूल्हे ने कहा— ‘इस पर मेरा हक नहीं’
दुल्हन अदिति सिंह (24) के पिता का कोविड महामारी के दौरान निधन हो गया था। परिवार ने अपनी क्षमता के अनुसार 31 लाख रुपये तिलक में देने के लिए जुटाए थे।
रस्म के दौरान जैसे ही यह थाली दूल्हे के सामने रखी गई, अवधेश राणा ने सिर झुकाया, हाथ जोड़कर पैसे लौटा दिए और कहा
“ये अदिति के पिताजी की जिंदगी भर की कमाई है। मेरा इस पर कोई हक नहीं है, मैं इसे नहीं ले सकता।”
उनकी यह बात सुनकर वहां मौजूद सभी लोग कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गए और फिर पूरा मंडप तालियों से गूंज उठा।
माता-पिता का समर्थन, माहौल हुआ और भी खुशनुमा
अवधेश के माता-पिता ने भी बेटे के फैसले का पूरा समर्थन किया। इसके बाद जयमाला से लेकर कन्यादान तक सभी रस्में और भी खुशी, सम्मान और नए उत्साह के साथ संपन्न हुईं।
अंत में दुल्हन अदिति मुस्कुराते हुए अपने नए घर के लिए विदा हुईं।
गांव में चर्चा का विषय, दहेजखोरों को सख्त संदेश
नगवा गांव के लोगों का कहना है कि अवधेश ने हाथ जोड़कर दहेज लौटाकर पूरे समाज को मजबूत संदेश दिया है। यह शादी अब जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।
एक ग्रामीण ने कहा—
“अवधेश-अदिति की शादी दहेज जैसी कुरीति पर सीधी चोट है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए सीख है।”
अवधेश बोले— ‘हम दहेज प्रथा के खिलाफ हैं’
टीओआई से बात करते हुए कॉस्मेटिक्स कारोबारी अवधेश राणा ने कहा
“22 नवंबर को हमारी शादी में दुल्हन पक्ष 31 लाख रुपये देने आया था, लेकिन हमने साफ मना कर दिया। मैं और मेरा परिवार दहेज प्रथा के कड़े खिलाफ हैं।”
दुल्हन अदिति की कहानी
अदिति की मां सीमा देवी मूल रूप से सहारनपुर के रनखंडी गांव की हैं। महामारी में पति सुनील सिंह के निधन के बाद अदिति और उनका भाई अनुभव, नाना सुखपाल सिंह के साथ शाहबुद्दीनपुर गांव में रहने लगे।
अदिति ने एमएससी की पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद नाना ने ही उनकी शादी अवधेश से तय की।