
जकार्ता/नई दिल्ली। दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अब इंडोनेशिया के नौसैनिक बेड़े में शामिल होने जा रही है। फिलीपींस के बाद यह देश दक्षिण-पूर्व एशिया का दूसरा कस्टमर होगा।
ब्रह्मोस डील की संभावना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री सज़ाफ़री सज़ामसोएद्दीन 26 नवंबर को दिल्ली का दौरा करेंगे और 28 नवंबर तक भारत में रहेंगे। इस दौरान वह भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ ब्रह्मोस मिसाइल के संभावित निर्यात पर बातचीत करेंगे। अनुमान है कि डील की कीमत 600 से 800 मिलियन डॉलर के बीच हो सकती है।
ब्रह्मोस की खासियत और रणनीतिक महत्व
ब्राह्मोस को जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च किया जा सकता है और इसकी सटीकता का प्रदर्शन ऑपरेशन सिंदूर में हो चुका है। इंडोनेशिया की भू-राजनीतिक स्थिति इसे खरीदने के लिए प्रेरित कर रही है। देश मलक्का स्ट्रेट के पास स्थित है, जो दुनिया के सबसे व्यस्त समुद्री चोकपॉइंट्स में से एक है।
ब्राह्मोस की कोस्टल बैटरी जकार्ता को भरोसेमंद सुरक्षा क्षमता देगी और दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करेगी।
भारत का निर्यात और ‘मेक इन इंडिया’
भारत ने लखनई में ब्रह्मोस की प्रोडक्शन लाइन स्थापित की है, जिससे निर्माण क्षमता बढ़ेगी और लागत कम होगी। इंडोनेशिया के साथ डील पूरी होने पर भारत टॉप-टियर हथियार एक्सपोर्टर बनने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाएगा।
इंडोनेशिया की हथियार नीति
इंडोनेशिया पहले रूस, फ्रांस और अमेरिका से हथियार खरीदता रहा है। हाल ही में उसने तुर्की के KAAN फाइटर जेट भी खरीदे हैं। अब ब्रह्मोस मिसाइल के जरिए वह अपनी रक्षा विविधता और समुद्री शक्ति मजबूत करना चाहता है।
निष्कर्ष
फिलीपींस के बाद इंडोनेशिया भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला दूसरा दक्षिण-पूर्व एशियाई देश बन सकता है। यह डील न सिर्फ भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा देगा बल्कि उसकी भू-राजनीतिक ताकत को भी मजबूती प्रदान करेगा।