
नई दिल्ली: दिवालिया हो चुकी दिग्गज इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) अब अडानी ग्रुप की झोली में गिर सकती है। कंपनी के क्रेडिटर्स ने सर्वसम्मति से अडानी एंटरप्राइजेज के ऑफर को मंजूरी दे दी है। इस प्रक्रिया में अनिल अग्रवाल की वेदांता भी प्रतिस्पर्धा में थी और उन्होंने अडानी से बड़ी बोली लगाई थी, लेकिन क्रेडिटर्स ने बेहतर प्रीपेमेंट टर्म्स और अधिक अंक मिलने के कारण अडानी का प्रस्ताव चुना।
बोली और स्कोरिंग का विवरण
सूत्रों के अनुसार, वेदांता ने सितंबर में हुई ई-नीलामी में ₹17,000 करोड़ की बोली लगाई थी। अडानी एंटरप्राइजेज की बोली वेदांता से लगभग ₹500 करोड़ कम थी, लेकिन अग्रिम भुगतान और बेहतर शर्तों के कारण उन्हें क्रेडिटर्स का समर्थन मिला। क्रेडिटर्स ने मंगलवार रात 9 बजे वोटिंग समाप्त की और अडानी को सबसे अधिक अंक दिए गए।
क्रेडिटर्स का निर्णय और कानूनी संभावनाएँ
नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी JAL की सबसे बड़ी क्रेडिटर है, जिसका कुल कर्ज ₹55,000 करोड़ है। हालांकि, कुछ क्रेडिटर्स ने स्कोरिंग सिस्टम पर सवाल उठाए हैं और माना जा रहा है कि अडानी की बोली सबसे बड़ी नहीं थी। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालतें आमतौर पर क्रेडिटर्स के फैसलों का सम्मान करती हैं, लेकिन चुनौती की संभावना बनी रह सकती है।
JAL के व्यापारिक क्षेत्र
जयप्रकाश एसोसिएट्स के पास सीमेंट, पावर, इंजीनियरिंग, हॉस्पिटैलिटी, रियल एस्टेट और स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कई व्यवसाय हैं। ग्रेटर नोएडा में उसका स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट लगभग 1,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
बोली में शामिल अन्य कंपनियाँ
शुरुआत में पाँच कंपनियों ने रेज़ॉल्यूशन प्लान पेश किए थे – अडानी एंटरप्राइजेज, वेदांता, डलमिया भारत, जिंदल पावर और PNC इन्फ्राटेक। डालमिया भारत ने बाद में भाग नहीं लिया क्योंकि उनकी पेशकश में कुछ शर्तें थीं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अडानी का यह कदम न केवल JAL की पुनर्संरचना में अहम साबित होगा, बल्कि ग्रुप के इन्फ्रा और हॉस्पिटैलिटी पोर्टफोलियो को भी मजबूत करेगा।