
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने न सिर्फ राज्य की राजनीति को बल्कि केंद्र की राजनीति को भी प्रभावित करने का रुझान दिखाया है। बिहार में एनडीए गठबंधन की शानदार जीत से राज्यसभा का गणित भी बदल सकता है, जो केंद्र सरकार के लिए अहम होगा। बिहार की चुनावी परिणामों ने यह संकेत दिया है कि राज्यसभा में एनडीए की स्थिति और मजबूत हो सकती है, जिससे केंद्र सरकार के लिए आगामी समय में विधायी कामकाज में कोई बड़ी रुकावट नहीं आएगी।
बिहार के विधानसभा चुनाव और राज्यसभा का गणित
बिहार विधानसभा की सीटों का असर राज्यसभा पर सीधे तौर पर पड़ता है, क्योंकि राज्यसभा में सीटों का बंटवारा राज्य की विधानसभा सीटों की संख्या पर निर्भर करता है। बिहार राज्य से कुल 16 राज्यसभा सीटें हैं, जिनमें वर्तमान में एनडीए के पास 10 और विपक्ष के पास 6 सीटें हैं। इनमें से 5 सीटें आरजेडी के पास और 1 कांग्रेस के पास है। इनमें से कई सांसदों का कार्यकाल अगले साल अप्रैल और जुलाई में खत्म हो रहा है, जिससे राज्यसभा का गणित और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
एनडीए को मिलेगा फायदा, विपक्ष की स्थिति होगी कमजोर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए की बंपर जीत के बाद, राज्यसभा में एनडीए की स्थिति और मजबूत हो सकती है। फिलहाल, एनडीए के पास राज्यसभा में 133 सांसद हैं, जिनमें से 103 भाजपा के हैं। विपक्ष की स्थिति पहले ही दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में हार के बाद कमजोर हुई है, और अब बिहार में भी विपक्ष की हालत पतली हुई है। ऐसे में विपक्ष के लिए राज्यसभा में अपनी स्थिति को मजबूत करना और मुश्किल हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक यशवंत देशमुख का कहना है कि विपक्ष के लिए आगामी दिन चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, क्योंकि चुनावों में हारने वाले बड़े नेताओं को समायोजित करने में दिक्कत आएगी।
केंद्र में मोदी सरकार को मिलेगा लाभ
इन परिणामों का असर दिल्ली तक महसूस किया जाएगा। एनडीए की बंपर जीत के बाद राज्यसभा में विपक्ष की स्थिति और कमजोर होगी, जिससे केंद्र सरकार के लिए बिलों को पारित करवाने में कोई खास मुश्किल नहीं आएगी। आगामी दिनों में जब राज्यसभा में कई सीटें खाली होंगी, तो एनडीए को इसका फायदा मिलने की संभावना है, और यह सरकार को अपने विधायी एजेंडे को आसानी से आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
इस जीत का असर सिर्फ बिहार की राजनीति पर नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति पर पड़ेगा, और यह दिखाता है कि एनडीए ने अपनी स्थिति को और मजबूत किया है, खासकर उच्च सदन में।