
अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को अयोध्या पहुंचे। इस मौके पर उनके साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहे। राम मंदिर परिसर में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े तीन ऐतिहासिक पड़ावों को याद किया और उन्हें आधुनिक भारत की दिशा तय करने वाला बताया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के बाद अयोध्या ने राम जन्मभूमि आंदोलन के कई उतार-चढ़ाव देखे। अयोध्या का नाम ही इस बात का प्रतीक है कि यहां कभी युद्ध नहीं हुआ, क्योंकि कोई भी शत्रु यहां के शौर्य, पराक्रम और वैभव के सामने टिक नहीं पाया। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यवश कुछ लोगों ने अपने निहित स्वार्थों के चलते मजहबी उन्माद और सत्ता के तुष्टीकरण की राजनीति के तहत अयोध्या को संघर्ष और उपद्रव का केंद्र बनाने का प्रयास किया।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बदली अयोध्या की तस्वीर
सीएम योगी ने कहा कि बीते 11 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अयोध्या ने ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखे हैं, जिन्हें यह पवित्र धरा कभी नहीं भूल सकती।
उन्होंने कहा कि पहला ऐतिहासिक दिन 5 अगस्त 2020 था, जब स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने अयोध्या धाम पहुंचकर श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन किया। यह 500 वर्षों के उस कलंक का अंत था, जिसने देश की आत्मा को पीड़ा दी थी।
प्राण-प्रतिष्ठा से साकार हुआ राम मंदिर का स्वप्न
मुख्यमंत्री ने 22 जनवरी 2024 को दूसरा महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए कहा कि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुनः अयोध्या आकर श्रीरामलला की भव्य मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न कराई। इस आयोजन ने करोड़ों राम भक्तों के सदियों पुराने सपने को साकार किया।
सनातन ध्वज से दुनिया को संदेश
तीसरे ऐतिहासिक अवसर का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अयोध्या पहुंचकर राम मंदिर के मुख्य शिखर पर सनातन धर्म का ध्वज फहराया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने उद्घोष किया कि सनातन धर्म से ऊपर कुछ भी नहीं है और यह ध्वज सदैव ऊंचा लहराता रहेगा। इसके माध्यम से भारत ने पूरी दुनिया को अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का सशक्त संदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक अस्मिता, राष्ट्रीय एकता और आत्मगौरव का प्रतीक है।