Tuesday, December 30

जिसे समझा गया ‘बुद्धू’, उसी ने फोड़ा IIT-JEE: मां के विश्वास ने गोलेम इफेक्ट को दी मात

 

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नई दिल्ली। अक्सर बच्चों को उनकी शुरुआती आदतों और व्यवहार के आधार पर आंक लिया जाता है। कभी-कभी यही लेबल उनके भविष्य पर भारी पड़ जाता है। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी होती हैं, जो यह साबित कर देती हैं कि विश्वास, धैर्य और सही समझ किसी भी बच्चे की किस्मत बदल सकते हैं। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी है आईआईटी बॉम्बे के छात्र करन सुखदेव की।

 

जिस बच्चे को नर्सरी में ही उसकी टीचर ने “बुद्धू” कहकर खारिज कर दिया था, वही आगे चलकर देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल IIT-JEE को पास कर आईआईटी बॉम्बे जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लेने में सफल हुआ।

 

‘इसे प्राइवेट स्कूल में मत पढ़ाइए’

 

करन सुखदेव ने हाल ही में सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो में उस घटना को याद किया, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। वीडियो में उनकी मां बताती हैं कि जब करन नर्सरी में था, तब उसकी टीचर ने कहा था—

“आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है, इसे कॉर्पोरेशन स्कूल में डाल दीजिए, यह प्राइवेट स्कूल में नहीं चल पाएगा।”

 

टीचर का मानना था कि करन क्लास में ब्लैक बोर्ड की तरफ ध्यान नहीं देता और खिड़की से बाहर देखता रहता है, इसलिए वह पढ़ाई में रुचि नहीं रखता।

 

बेटे पर मां का अटूट विश्वास

 

हालांकि उस समय भी करन की मां ने अपने बेटे पर भरोसा नहीं खोया। उन्होंने टीचर से साफ कहा कि बच्चे को न डांटा जाए, न मारा जाए और उसे उसके स्वभाव के अनुसार सीखने दिया जाए।

करन मानते हैं कि मां का यही विश्वास उनकी सबसे बड़ी ताकत बना।

 

IIT-JEE से IIT बॉम्बे तक का सफर

 

समय ने साबित कर दिया कि टीचर की राय गलत थी। करन ने न केवल IIT-JEE जैसी कठिन परीक्षा पास की, बल्कि NIRF रैंकिंग में देश के टॉप संस्थानों में शामिल IIT बॉम्बे में दाखिला भी पाया। इसके बाद उन्होंने विदेश में कई वर्षों तक प्रोफेशनल तौर पर काम किया।

 

क्या है गोलेम इफेक्ट?

 

मनोविज्ञान में Golem Effect (गोलेम प्रभाव) वह स्थिति है, जब शिक्षक या अभिभावक किसी बच्चे से कम उम्मीदें रखने लगते हैं। यह नकारात्मक सोच धीरे-धीरे बच्चे के आत्मविश्वास और प्रदर्शन को कमजोर कर देती है।

इसके विपरीत Pygmalion Effect में सकारात्मक अपेक्षाएं बच्चे को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित करती हैं।

 

सीख: हर बच्चे पर रखें विश्वास

 

करन सुखदेव की कहानी यह सिखाती है कि हर बच्चा अलग होता है। उसे जल्दबाजी में कमजोर या नालायक कहना उसके भविष्य पर भारी पड़ सकता है। सही मार्गदर्शन और भरोसे के साथ वही बच्चा आगे चलकर असाधारण सफलता हासिल कर सकता है।

 

आज ‘बुद्धू’ कहे गए उसी बच्चे ने देश को यह दिखा दिया कि विश्वास की ताकत, किसी भी लेबल से कहीं ज्यादा बड़ी होती है।

 

 

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