
लखनऊ: प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की ऑडिट रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में योजना के क्रियान्वयन में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।
मुख्य खुलासे:
जुलाई 2017 में योजना के लिए जरूरतमंदों की पहचान हेतु सर्वे कराया गया। सर्वे में 33.64 लाख लोगों को पात्र पाया गया, लेकिन केवल 22.29 लाख लोगों को वेटिंग लिस्ट में शामिल किया गया।
2017 से 2023 तक चयनित लाभार्थियों में 11,031 ऐसे पाए गए जिनका मकान बनकर तैयार था, फिर भी उनके लिए 20.18 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हो पाया।
वहीं, 1,838 ऐसे लोग सामने आए जो पात्र नहीं थे, लेकिन उनके खाते में 9.52 करोड़ रुपये भेजे जा चुके थे। इनमें से 2.62 करोड़ रुपये की रिकवरी अभी तक नहीं हो पाई।
159 लाभार्थियों की राशि किसी अन्य के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर हो गई, जिसे साइबर फ्रॉड के रूप में रिपोर्ट किया गया।
अधूरे मकानों पर भी हुआ भुगतान
2016 से 2023 के बीच स्वीकृत मकानों के भौतिक सत्यापन में 20,215 आवास अधूरे पाए गए, फिर भी उनके लिए पूरा भुगतान कर दिया गया। इन आवासों में कुल 134 करोड़ रुपये भेजे गए।
भौतिक सत्यापन में और खुलासे
2,079 मकानों का सत्यापन किया गया, जिनमें से 77 आवास अधूरे पाए गए।
74% मकानों की दीवारों पर प्लास्टर नहीं था।
82% मकानों में पीएम आवास योजना का निशान नहीं था, जबकि भुगतान से पहले निशान होना अनिवार्य है।
54% मकानों में खाना पकाने की सुविधा नहीं थी।
44% मकानों में जल निकासी की व्यवस्था नहीं थी।
29% में शौचालय, 39% में रसोई गैस, 30% में बिजली और 89% में पानी की आपूर्ति की व्यवस्था नहीं थी।
CAG की इस रिपोर्ट से योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और निगरानी की गंभीर कमी सामने आई है। रिपोर्ट में सभी अनियमितताओं की जांच और राशि की रिकवरी के निर्देश भी दिए गए हैं।