Thursday, November 6

‘मेरे रिटायरमेंट के बाद सुनवाई चाहते हैं?’ : ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पर सीजेआई बीआर गवई ने केंद्र को लगाई फटकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के मामले में केंद्र की लगातार स्थगन मांग पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने गुरुवार को कड़ा रुख दिखाया। सीजेआई गवई ने केंद्र सरकार को तंज कसते हुए कहा, “ऐसा लगता है कि आप चाहते हैं कि यह मामला मेरी रिटायरमेंट के बाद सुना जाए।”

केंद्र को दी चेतावनी:
सुप्रीम कोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि के अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रेशन में व्यस्त होने का हवाला देते हुए सुनवाई टालने का अनुरोध किया। इस पर सीजेआई गवई ने तुरंत जवाब दिया कि “लगता है कि केंद्र चाहता ही नहीं कि हम इस केस को सुनें और फैसला दें।” उन्होंने आगे कहा, “अगर आप नहीं चाहते कि हम सुनें, तो हमें बता दीजिए। लगता है कि आप 24 नवंबर के बाद सुनवाई चाहते हैं।”

तीन बार स्थगन के बावजूद अटॉर्नी जनरल अनुपस्थित:
सीजेआई ने बताया कि पहले तीन बार अटॉर्नी जनरल को समय दिया गया, लेकिन वे अभी तक पेश नहीं हुए। जस्टिस गवई ने कहा, “हाई कोर्ट में यह प्रक्रिया है कि अगर सुनवाई शुरू हुई है तो वकील को इसे पूरा करना होता है। यहां हमने तीन बार स्थगन दिया, लेकिन अब तक अटॉर्नी जनरल उपस्थित नहीं हैं।”

संविधान पीठ को आधी रात में आवेदन:
सीजेआई ने केंद्र द्वारा आधी रात में संविधान पीठ को मामला भेजने के अनुरोध पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “अदालत के साथ यह बहुत गलत है। हम कल सुनना चाहते थे और वीकेंड का इस्तेमाल फैसला लिखने के लिए करना चाहते थे।”

सुनवाई की नई तारीख:
अंततः सुनवाई की अगली तारीख 10 नवंबर तय की गई। सीजेआई गवई ने स्पष्ट कहा, “हम कानून के सर्वोच्च पद का सम्मान करते हैं, लेकिन जिस तरह से सुनवाई टाली जा रही है वह सही नहीं है।” उन्होंने भाटी से कहा कि अटॉर्नी जनरल को सूचना दे दी जाए कि सोमवार को मामला पूरी तरह निपटाया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं की चुनौती:
इस मामले में मद्रास बार एसोसिएशन की अगुवाई वाली याचिकाओं में ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी गई है। इसमें ट्रिब्यूनलों के अध्यक्ष और सदस्यों के लिए समान कार्यकाल, आयु सीमा और चयन प्रक्रिया को संवैधानिक चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि न्यायिक कार्य करने वाले ट्रिब्यूनलों को कार्यपालिका से स्वतंत्र रहना चाहिए।

निष्कर्ष:
सीजेआई गवई का स्पष्ट रुख केंद्र को यह संदेश देता है कि न्यायिक प्रक्रिया में विलंब और स्थगन स्वीकार्य नहीं है। ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पर सुनवाई अब जल्द ही पूर्ण होने की संभावना है।

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