
नई दिल्ली: SIR (सर्वे ऑफ इलेक्टोरल रेजिस्ट्रेशन) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण और अदालत के बीच गंभीर गहमागहमी देखने को मिली। सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने चुनाव आयोग (EC) को ‘तानाशाह’ कह दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सख्त हिदायत दी कि अपनी दलीलें केवल कानूनी दायरे में रखकर प्रस्तुत करें।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच (CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची) ने भूषण को चेतावनी दी कि राजनीतिक पार्टियों की तरह तीखी टिप्पणियों का जिक्र करके EC के खिलाफ बड़ी-बड़ी बातें करने का कोई मतलब नहीं। अदालत ने कहा कि SIR की वैधता को चुनौती देने के लिए केवल कानूनी मुद्दों तक ही दलीलें सीमित रहनी चाहिए।
प्रशांत भूषण की दलीलें
भूषण ने दावा किया कि वोटर लिस्ट को नए सिरे से तैयार करने का यह काम unprecedented है और Representation of the People Act के तहत गलत है। उन्होंने कहा कि कम समय में काम पूरा करने की जल्दबाजी ने BLOs (बुनियादी स्तर के चुनाव अधिकारी) को अत्यधिक मानसिक और शारीरिक तनाव में डाल दिया, जिससे 30 BLOs की मौत आत्महत्या के कारण हुई।
भूषण ने आरोप लगाया कि SIR का उद्देश्य नागरिकता सत्यापन का बहाना था, जबकि वास्तविक रूप में नागरिकता का निर्धारण गृह मंत्रालय के तहत सक्षम प्राधिकरण करता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का इसमें कोई रोल नहीं होना चाहिए।
BLO पर हमलों की शिकायत
इससे पहले वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अदालत को बताया कि बंगाल और अन्य राज्यों में SIR के काम में लगे BLO पर बार-बार हमला और डराने की घटनाएं हुई हैं। उन्होंने SC से EC को आर्म्ड फोर्स और राज्य पुलिस बुलाने का निर्देश देने की मांग की। अदालत ने कहा कि इस मामले में चुनाव आयोग और अन्य प्राधिकरण उचित कदम उठाने में सक्षम हैं।
सुप्रीम कोर्ट में SIR के खिलाफ कानूनी लड़ाई एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) लड़ रहा है, और इस मामले में प्रशांत भूषण ADR की तरफ से बहस कर रहे हैं।