
बोकारो/पुरुलिया, 22 नवंबर। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में स्थित ऐतिहासिक छर्रा एयरस्ट्रिप दशकों की खामोशी तोड़ने के लिए तैयार है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सामरिक महत्व रखने वाली यह हवाई पट्टी अब वाणिज्यिक उड़ानों के लिए पुनर्जीवित की जा रही है। परियोजना पूरी होने पर यह क्षेत्र पूर्वी भारत के नए क्षेत्रीय हब के रूप में उभर सकता है।
द्वितीय विश्व युद्ध की धरोहर
- एयरस्ट्रिप का निर्माण वर्ष 1942–43 में ब्रिटिश प्रशासन ने कराया था
- यहां से अमेरिकी वायुसेना के B-29 Superfortress जैसे विमान उड़ान भरते थे
- यह बेस ‘Hump Mission’ का हिस्सा था
- युद्ध समाप्ति के बाद वर्ष 1945 से संचालन बंद हो गया और हवाई पट्टी निष्क्रिय पड़ी रही
स्थानीय लोग वर्षों से इसे एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में देखते रहे, लेकिन संरक्षण और विकास की पहल नहीं हो सकी।
पुनर्जीवन की दिशा में बड़े कदम
राज्य सरकार ने 2017–18 के बाद एयरस्ट्रिप को सक्रिय करने की प्रक्रिया तेज की।
परियोजना के मुख्य बिंदु—
- रनवे और इंफ्रास्ट्रक्चर के उन्नयन की तैयारी शुरू
- लगभग 300–600 एकड़ भूमि उपयोग का प्रस्ताव
- अनुमानित लागत 250–300 करोड़ रुपये
- हाल ही में अधिकारियों ने तकनीकी निरीक्षण और मूल्यांकन तेज किया है
सूत्रों के अनुसार, छोटे वाणिज्यिक विमानों के लिए संचालन की संभावनाएं मजबूत होती दिख रही हैं।
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को नई रफ्तार
एयरस्ट्रिप चालू होने से इन क्षेत्रों को सीधा लाभ मिलेगा—
- पुरुलिया
- बोकारो
- बांकुड़ा
- रांची
- जमशेदपुर
संभावित फायदे—
- पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा
- निवेश के नए अवसर
- स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार सृजन
- आपातकालीन विमानन सेवाओं की सुविधा
इतिहास से भविष्य की ओर उड़ान
कभी युद्धक विमानों की गरज सुनने वाली यह हवाई पट्टी अब आधुनिक यात्री विमानों के स्वागत के लिए तैयार हो रही है।
छर्रा एयरस्ट्रिप का पुनर्जीवन केवल एक ढांचागत परियोजना नहीं, बल्कि पूर्वी भारत के विकास का नया अध्याय बनने की ओर महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।