Thursday, November 20

जापान की 30 साल की शून्य दर नीति टूटी, महंगाई 25 साल में सबसे ऊंची, भारत पर क्या असर?

नई दिल्ली/अमित शुक्ला। जापान ने 30 साल पुराना वित्तीय ट्रेंड तोड़ते हुए अपनी उधारी दर 2.8% तक बढ़ा दी है। इस अचानक बदलाव ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है और ‘येन कैरी ट्रेड’ पर बड़ा असर डाला है। निवेशक विदेशी निवेश बेचकर जापानी कर्ज चुकाने की दिशा में कदम उठा सकते हैं, जिससे दुनिया भर के शेयर बाजारों पर दबाव बढ़ सकता है।

येन कैरी ट्रेड का संकट

दशकों तक जापान की बेहद कम ब्याज दरें (लगभग 0%) दुनिया भर के निवेशकों के लिए सबसे सस्ती उधारी का जरिया रही हैं। बड़े संस्थान येन उधार लेकर अमेरिका, भारत और अन्य देशों के उच्च रिटर्न वाले बाजारों में निवेश करते थे। अब जब जापान की उधारी दर बढ़कर 2.8% हो गई है, यह ग्लोबल कैरी ट्रेड खत्म होने की ओर है। निवेशक अब अपने विदेशी निवेश बेचकर जापानी कर्ज चुकाने की कोशिश कर सकते हैं।

इन्वेस्टमेंट बैंकर सार्थक आहूजा ने चेतावनी दी है कि यदि यह दर 3% पार कर गई, तो जापान का कर्ज, जो उसकी GDP का 2.5 गुना है, संभालना मुश्किल हो जाएगा।

महंगाई ने बढ़ाई ब्याज दर

जापान में 25 साल में पहली बार महंगाई दर 2.5% को पार कर गई है। हालांकि आम लोगों की असली आय (रियल वेज) बढ़ी नहीं है। महंगाई को काबू में रखने के लिए बैंक ऑफ जापान को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ रही हैं। अगस्त 2024 में भी थोड़ी बढ़ोतरी पर निक्केई इंडेक्स 12% गिर गया था, लेकिन अब स्थिति और गंभीर मानी जा रही है।

भारत पर असर

जापान की ब्याज दरों में यह बढ़ोतरी भारत समेत अन्य उभरते बाजारों के लिए मायने रखती है। अब जापानी निवेशकों के लिए अपने देश में निवेश करना अधिक आकर्षक हो सकता है या वे अपने पैसे जापान वापस ले सकते हैं। इससे भारतीय शेयर और बॉन्ड बाजार में जापानी निवेश की रफ्तार धीमी हो सकती है।

विशेषज्ञों की सलाह है कि इस समय निवेशकों को जोखिम भरे दांव से बचना चाहिए और पूंजी को सुरक्षित रखना प्राथमिकता होनी चाहिए।

विशेष: जापान की यह नीति परिवर्तन वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में महत्वपूर्ण मोड़ है और आने वाले महीनों में इसके असर भारत और अन्य उभरते बाजारों में भी महसूस होंगे।

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