1990: भारतीय न्यायपालिका के ऐतिहासिक फैसले जो बने समाज और कानून में बदलाव की नींव

1990 का वर्ष भारतीय न्यायपालिका के लिए कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णयों का गवाह बना। इन निर्णयों ने न केवल कानूनी प्रणाली को प्रभावित किया, बल्कि समाज में भी व्यापक बहसें छेड़ीं। यहां 1990 के कुछ प्रमुख न्यायालय के फैसलों की चर्चा की जा रही है:

1. शाह बानो केस का प्रभाव जारी

1985 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए शाह बानो केस के निर्णय का प्रभाव 1990 तक महसूस किया गया। इस मामले ने मुस्लिम महिलाओं के तलाक और भरण-पोषण के मुद्दों पर एक नई बहस को जन्म दिया। यह निर्णय महिला अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

2. बोफोर्स घोटाला केस

बोफोर्स घोटाले ने 1990 में भारतीय राजनीति को हिला कर रख दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जिसमें गवाहों और दस्तावेजों की समीक्षा के आदेश शामिल थे। यह मामला उस समय देश के सबसे चर्चित कानूनी मामलों में से एक बन गया।

3. कश्मीर में विशेष कानून और आतंकवाद

जनवरी 1990 में, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव के कारण सुप्रीम कोर्ट ने वहां लागू विशेष कानूनों की वैधता पर महत्वपूर्ण सुनवाई की। कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए इन विशेष प्रावधानों को जारी रखने की अनुमति दी।

4. अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम पर फैसले

1990 में अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि हाशिए पर खड़े वर्गों को न्याय मिले और उनके खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर कठोर कार्रवाई की जाए।

5. पर्यावरण संरक्षण पर न्यायपालिका का ध्यान

सुप्रीम कोर्ट ने 1990 में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई अहम फैसले सुनाए। विशेष रूप से गंगा प्रदूषण मामले में, कोर्ट ने सरकार को गंगा नदी की सफाई के लिए सख्त कदम उठाने का आदेश दिया, जो भारत में पर्यावरण कानून के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ।

इन निर्णयों ने न केवल कानूनी और सामाजिक व्यवस्था को मजबूत किया, बल्कि भविष्य के लिए नीतियों और कानूनों का आधार भी तैयार किया। 1990 का ये दौर भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है, जो आज भी समाज में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है।


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