
राजस्थान सरकार ने सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के पंजीकरण नियमों में बड़ा बदलाव किया है। स्वास्थ्य विभाग के नए आदेश के अनुसार अब राज्य के सभी सरकारी चिकित्सा संस्थानों में ओपीडी पंजीकरण केवल आधार कार्ड या जनआधार नंबर के माध्यम से ही किया जाएगा। यह आदेश 22 दिसंबर को जारी किया गया है।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इस निर्णय का उद्देश्य मरीजों के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप से सुव्यवस्थित करना, फर्जी पंजीकरण पर रोक लगाना और आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) आईडी की प्रक्रिया को तेज करना है। आदेश के तहत सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस व्यवस्था का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें।
निगरानी और कार्रवाई के निर्देश
स्वास्थ्य विभाग ने जिला प्रशासन को भी ओपीडी पंजीकरण प्रक्रिया की नियमित निगरानी करने के निर्देश दिए हैं। आदेश की अवहेलना पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों और संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बिना आधार वाले मरीजों को लेकर असमंजस
हालांकि इस फैसले से डेटा प्रबंधन बेहतर होने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन जिन मरीजों के पास आधार या जनआधार नहीं है, उनके इलाज को लेकर अभी स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं आए हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों, प्रवासी मजदूरों और गरीब तबके के मरीजों के सामने असुविधा की आशंका जताई जा रही है।
ABHA आईडी बनाना भी होगा जरूरी
नए निर्देशों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में पंजीकरण कराने वाले सभी मरीजों की ABHA आईडी बनाना अनिवार्य होगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों और संभागीय संयुक्त निदेशकों को ब्लॉक और संस्थान स्तर पर ABHA आईडी से संबंधित रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
ऑनलाइन एंट्री पर जोर
विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी कारणवश ऑफलाइन ओपीडी पर्ची जारी की जाती है, तो उसकी जानकारी 24 घंटे के भीतर ऑनलाइन सिस्टम में दर्ज करना अनिवार्य होगा। ABHA आईडी को इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम सहित अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने की जिम्मेदारी भी जिला अधिकारियों को सौंपी गई है।
स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले को डिजिटल स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, हालांकि इसके प्रभावी क्रियान्वयन और आम मरीजों की सुविधाओं को लेकर आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट होने की उम्मीद है।