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स्पेस मार्केट में ISRO का दबदबा: 2014 से अब तक 34 देशों के लिए लॉन्च किए 390 सैटेलाइट

 

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नई दिल्ली, 26 दिसंबर (नवभारत टाइम्स) – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एलवीएम3-एम6 रॉकेट के जरिए अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल की ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ (LEO) में स्थापित कर अंतरिक्ष में भारत की मजबूत पकड़ का लोहा मनवाया है। इस सफलता ने न केवल अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया बल्कि भारत को स्पेस डॉकिंग, मानव अंतरिक्ष यान और नेविगेशन सिस्टम के क्षेत्र में भी अहम उपलब्धियाँ दिलाईं।

 

वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की साख:

वर्ष 2014 से अब तक ISRO ने 34 देशों के लिए 390 से अधिक विदेशी सैटेलाइट लॉन्च किए हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका के 232 सैटेलाइट शामिल हैं, जो किसी भी देश से सबसे अधिक हैं। अमेरिका स्थित भारतीय दूतावास ने इस उपलब्धि को वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की तकनीकी दक्षता, लागत प्रभावी सेवाओं और सफल मिशनों की पहचान के तौर पर साझा किया।

 

विश्व रिकॉर्ड – 104 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च:

2017 में ISRO ने एक ही बार में 104 सैटेलाइट लॉन्च कर विश्व रिकॉर्ड बनाया, जो भारत की तकनीकी क्षमता और अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी स्थिति को प्रमाणित करता है।

 

स्पेस डॉकिंग में भारत बना चौथा देश:

2025 की शुरुआत में ISRO ने स्पेस डॉकिंग में सफलता हासिल कर अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बनने का गौरव प्राप्त किया। स्पैडेक्स मिशन (PSLV-C60) के तहत दो छोटे उपग्रहों SDX-01 और SDX-02 का सफल डॉकिंग 16 जनवरी 2025 को पूरा हुआ। यह तकनीक भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर मानव मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

 

गगनयान मिशन में अहम भूमिका:

जून 2025 में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिऑम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे और 18 दिन तक वहाँ रहे। यह अनुभव भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ।

 

नेविगेशन और 100वीं लॉन्च की उपलब्धि:

29 जनवरी 2025 को श्रीहरिकोटा से GSLCV-F15/NVS-02 लॉन्च के साथ ISRO ने 2025 में अपनी 100वीं लॉन्च सफलता दर्ज की। NVS-02 ने NAVIC (भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम) को और मजबूत किया, जिससे देश की अंतरिक्ष तकनीक और क्षमता में बढ़ोतरी हुई।

 

ISRO की ये लगातार सफलताएँ यह स्पष्ट करती हैं कि भारत न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान में आत्मनिर्भर है, बल्कि वैश्विक स्पेस मार्केट में भी अपनी मजबूत पहचान बनाए हुए है।

 

 

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