
ओडिशा में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। गुरुवार सुबह हुए एक संयुक्त अभियान में प्रतिबंधित CPI (माओवादी) संगठन के टॉप-10 कमांडरों में शामिल और ₹1.10 करोड़ के इनामी गणेश उइके (69) समेत छह माओवादी मारे गए। यह मुठभेड़ ओडिशा के कंधमाल और गंजाम जिलों के सीमावर्ती वन क्षेत्रों में हुई।
इस ऑपरेशन को ओडिशा पुलिस, सीआरपीएफ और बीएसएफ ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। अभियान की शुरुआत 24 दिसंबर को हुई थी और यह लगातार दो दिनों तक चला।
गृह मंत्री अमित शाह का बड़ा बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्रवाई को नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक कदम बताते हुए कहा,
“कंधमाल के जंगलों में चलाए गए व्यापक अभियान में माओवादी केंद्रीय समिति के सदस्य गणेश उइके और उसके साथियों का मारा जाना नक्सल-मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ओडिशा अब नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त होने की कगार पर है।”
दो चरणों में हुई मुठभेड़
छत्तीसगढ़ पुलिस के बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि
पहली मुठभेड़ बुधवार रात बेलघर थाना क्षेत्र के गुम्मा जंगल में हुई, जिसमें एक महिला माओवादी समेत दो नक्सली मारे गए।
दूसरी मुठभेड़ गुरुवार सुबह चकापाड थाना क्षेत्र के जंगलों में हुई, जहां गणेश उइके सहित चार अन्य माओवादी ढेर कर दिए गए। इनमें एक महिला नक्सली भी शामिल है।
कौन था गणेश उइके?
मुठभेड़ में मारा गया गणेश उइके प्रतिबंधित CPI (माओवादी) संगठन की सेंट्रल कमिटी का सदस्य (CCM) और ओडिशा स्टेट कमिटी का प्रमुख था। वह रूपा, राजेश तिवारी, पक्का हनुमंतु और सोमारू जैसे कई उपनामों से जाना जाता था।
तेलंगाना के नलगोंडा जिले के पुल्लेमाला गांव में जन्मा गणेश उइके वर्ष 1988 से माओवादी संगठन में सक्रिय था। उसने
जगदलपुर में सिटी ऑर्गनाइज़र,
वेस्ट बस्तर डिविजनल कमिटी के सचिव,
और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य जैसे अहम पदों पर काम किया था।
नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि गणेश उइके की मौत से ओडिशा और आसपास के नक्सल प्रभावित इलाकों में माओवादी नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। यह कार्रवाई आने वाले समय में नक्सल गतिविधियों को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है।