
जयपुर: राजस्थान में अरावली बचाओ आंदोलन अब नए चरण में प्रवेश करने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले और केंद्र सरकार द्वारा अरावली की नई परिभाषा तय किए जाने के विरोध में छात्र नेता निर्मल चौधरी ने 1000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकालने का ऐलान किया है। यह पदयात्रा 24 दिसंबर से माउंट आबू से शुरू होगी।
अरावली पर्वतमाला को लेकर उठे विवाद के बाद कांग्रेस सहित कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को सीकर, झुंझुनूं, बाड़मेर, अलवर सहित कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए। इसी क्रम में अब छात्र नेता निर्मल चौधरी इस मुद्दे को जन आंदोलन का रूप देने जा रहे हैं।
कौन हैं निर्मल चौधरी
निर्मल चौधरी राजस्थान के चर्चित छात्र नेताओं में गिने जाते हैं। वे राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। हालांकि वर्तमान में वे किसी राजनीतिक दल के औपचारिक पद पर नहीं हैं, फिर भी वे लगातार विभिन्न सामाजिक, किसान और युवाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर आंदोलन करते रहे हैं।
उनकी पहचान एक ऐसे छात्र नेता के रूप में है, जो किसी भी अन्याय के मामले में सरकार और प्रशासन के खिलाफ खुलकर आवाज उठाते हैं। यही कारण है कि वे अक्सर मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं।
युवाओं का मजबूत समर्थन
निर्मल चौधरी के साथ युवाओं की बड़ी फौज मानी जाती है। छात्रसंघ अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी उनके प्रति युवाओं का आकर्षण कम नहीं हुआ। युवाओं और किसानों के मुद्दों पर वे लगातार धरना-प्रदर्शन और आंदोलन करते रहे हैं।
हाल ही में जोधपुर के डॉक्टर राकेश बिश्नोई की संदिग्ध मौत और झालावाड़ के सरकारी स्कूल हादसे के बाद वे पीड़ित परिवारों के साथ खड़े नजर आए थे। झालावाड़ प्रकरण में पीड़ितों को आर्थिक सहायता देने को लेकर वे विवादों में भी आए थे।
निर्दलीय से NSUI तक का सफर
निर्मल चौधरी नागौर जिले के मेड़ता क्षेत्र के धामनिया गांव के निवासी हैं। उनके पिता स्कूल शिक्षक हैं और मां गृहिणी हैं। वर्ष 2022 में उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर NSUI और ABVP को हराया था।
अध्यक्ष बनने के करीब दो साल बाद उन्होंने NSUI जॉइन की, जहां उन्हें राष्ट्रीय चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई।
लग्जरी डिफेंडर और विवाद
फरवरी 2025 में निर्मल चौधरी द्वारा खरीदी गई लग्जरी डिफेंडर कार को लेकर भी वे चर्चा में आए। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति को लेकर सवाल उठे। हालांकि, इन तमाम चर्चाओं के बावजूद निर्मल चौधरी अपने आंदोलन और सार्वजनिक गतिविधियों में लगातार सक्रिय बने हुए हैं।
सरकार और पुलिस से सीधा टकराव
निर्मल चौधरी का आंदोलनकारी अंदाज काफी आक्रामक माना जाता है। आंदोलन के दौरान कई बार उनकी पुलिस और प्रशासन से तीखी झड़पें हो चुकी हैं, जिनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।
अरावली बचाने के आंदोलन में वे इस बार सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते नजर आ रहे हैं। पदयात्रा की घोषणा करते हुए जारी वीडियो में उन्होंने कहा है कि “अरावली पर हमला करने से पहले हजारों-लाखों योद्धाओं से होकर गुजरना होगा।”
नज़रें टिकीं पदयात्रा पर
अब देखना यह होगा कि 1000 किलोमीटर की यह पदयात्रा राजस्थान की राजनीति और पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को कितना बड़ा जन आंदोलन बना पाती है।