
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में सिख नेताओं के खिलाफ गोपनीय निगरानी और नजरबंदी की जानकारी सामने आई है। खासतौर से खालिस्तान समर्थक और पंजाबी सिख संगत (PSS) के पूर्व अध्यक्ष गोपाल सिंह चावला इस अभियान का मुख्य निशाना बने हुए हैं। चावला सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आ रहे हैं और उन्होंने पाकिस्तानी अधिकारियों और खुफिया एजेंसियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
नजरबंदी का तरीका
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की यह रणनीति चीन के उइगर मुस्लिमों के खिलाफ नीति के समान है। इसमें बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी नहीं की जाती, बल्कि सिख नेताओं को अलग-थलग किया जाता है, आर्थिक रूप से कमजोर किया जाता है और परिवार से संपर्क तोड़ा जाता है। ISI ने चावला और अन्य सिख एक्टिविस्टों की आवाजाही पर रोक लगाई और उनके रोजगार पर भी प्रतिबंध लगाया।
गोपाल चावला की स्थिति
चावला पिछले तीन साल से कथित तौर पर घर में नजरबंद हैं। उनके परिवार का गुजारा वर्तमान में लगभग 55,000 रुपए के वजीफे पर चल रहा है। चावला की होम्योपैथिक मेडिकल प्रैक्टिस भी बंद हो चुकी है। उनके पिछले संबंध, जिनमें हाफिज सईद और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ करीबी, मामले को और पेचीदा बनाते हैं।
ISI की नई रणनीति
शीर्ष खुफिया सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान में अब खालिस्तानी समूहों को बोझ के रूप में देखा जा रहा है। खासकर लाहौर में खालिस्तानी नेता हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया पुंजवार की हत्या के बाद ISI की सतर्कता बढ़ी है। रणनीति का उद्देश्य गिरफ्तारी की बजाय अलगाव और आर्थिक नियंत्रण के जरिए मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना है।
पाकिस्तान अल्पसंख्यकों को नियंत्रित करने के लिए ऐसे गुप्त ऑपरेशन को लागू कर रहा है, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध कम दिखाई दे।