
उपशीर्षक: एक ही पासवर्ड हर जगह उपयोग करना, कमजोर पासवर्ड और टू-फैक्टर न लगाना बने हैं ख़तरनाक आम गलतियाँ; जानें सरल बचाव के तरीके
लीड: डिजिटल दुनिया में आपकी पहचान और पैसे की सुरक्षा का पहला कवच है — पासवर्ड। लेकिन बहुत से लोग छोटी-छोटी गलतियों की वजह से अपनी पूरी ऑनलाइन ज़िन्दगी जोखिम में डाल देते हैं। एक ही पासवर्ड कई साइटों पर इस्तेमाल करना, कमजोर पासवर्ड चुनना या टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) न लगाना ऐसे आम ग़लतियाँ हैं जो क्रेडेंशियल स्टफिंग, फिशिंग और पहचान चोरी को आसान बनाती हैं।
मुख्य समाचार:
- एक पासवर्ड — कई अकाउंट्स के लिए ख़तरनाक
कई लोग याद रखने की सुविधा के लिए एक ही पासवर्ड सभी साइटों पर उपयोग करते हैं। इससे यदि किसी एक बड़ी वेबसाइट का डेटाबेस लीक हो जाए तो हैकर्स उसी पासवर्ड का उपयोग आपकी ईमेल, बैंक या सोशल मीडिया पर कर सकते हैं। 2013 के याहू हैक जैसे बड़े मामलों ने दिखाया है कि एक बार क्रेडेंशियल लीक हुआ तो उसका प्रभाव लंबे समय तक और व्यापक होता है। - क्रेडेंशियल स्टफिंग और फिशिंग — बढ़ती चुनौतियाँ
क्रेडेंशियल स्टफिंग में हैकर्स चोरी हुए यूजरनेम-पासवर्ड दूसरी साइटों पर ऑटोमैटिकली आज़माते हैं। रिपोर्ट्स में दिखा है कि सुरक्षा उल्लंघनों में अधिकतर बार कमजोर या दोहराए गए पासवर्ड जिम्मेदार होते हैं। दूसरी ओर, फिशिंग हमले फेक लॉगिन पेज बनाकर यूजरसे सेंसिटिव जानकारी चुराते हैं — एक सफल फिशिंग हमले से कई अकाउंट खुल सकते हैं। - ऑफिस और प्रोफेशनल जोखिम
यदि कर्मचारी अपने निजी और ऑफिस-अकाउंट के लिए एक ही पासवर्ड उपयोग करते हैं तो कंपनी की संवेदनशील जानकारी खतरे में पड़ सकती है। इससे ऑडिट, जुर्माना या नौकरी चली जाने जैसे भी नतीजे सामने आ सकते हैं — खासकर फ्रीलांसर और रिमोट वर्कर्स के लिए जोखिम ज़्यादा है क्योंकि क्लाइंट डेटा प्रभावित हो सकता है।
क्या करें — सरल और प्रभावी उपाय
- हर अकाउंट के लिए अलग और लंबा पासवर्ड रखें — कम से कम 12 अक्षर या उससे अधिक।
- पासवर्ड-मैनेजर का इस्तेमाल करें — यह अलग-अलग और जटिल पासवर्ड संभालता है और याद रखने की ज़रूरत नहीं रहती।
- टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) ज़रूर लगाएं — SMS, ऐप-आधारित ऑथेंटिकेटर या हार्डवेयर-टोकन में से किसी का उपयोग करें।
- पासफ़्रेज़ अपनाएँ — शब्दों का जोड़ (जैसे “Suraj!Chai@2025”) याद रखने में आसान और सुरक्षित होता है।
- सार्वजनिक Wi-Fi पर संवेदनशील लॉगिन न करें और नियमित रूप से अपने प्रमुख अकाउंट के पासवर्ड बदलते रहें।
- किसी भी ईमेल/लिंक पर क्लिक करने से पहले प्रेषक की पहचान और यूआरएल की जाँच करें — फिशिंग अक्सर नकली डोमेन का उपयोग करता है।
- यदि किसी साइट से आपके क्रेडेंशियल लीक होने की सूचना आये तो तुरंत उस साइट और अन्य जगहों के पासवर्ड बदल दें जहाँ वही पासवर्ड इस्तेमाल हुआ हो।
सारांश/निष्कर्ष:
पासवर्ड सुरक्षा में छोटे-छोटे बदलाव — जैसे अलग पासवर्ड, पासवर्ड मैनेजर और 2FA — आपकी डिजिटल पहचान और संपत्ति को बचाने में बहुत बड़ा फर्क डाल देते हैं। आज ही अपने प्रमुख अकाउंट्स की सुरक्षा चेक-लिस्ट बनाकर उन पर अमल शुरू करें — वरना हैकर्स के लिए काम चुटकियों जैसा रह जाएगा और आपको पछताना पड़ेगा।