Friday, December 19

शीर्षक:मेवाड़ राजपरिवार में संपत्ति विवाद फिर गहराया, उदयपुर के उत्तराधिकार को लेकर भाई-बहन आमने-सामने


मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार में दशकों से चला आ रहा संपत्तिविवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के उत्तराधिकार और वसीयत को लेकर पारिवारिक मतभेद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं। विवाद अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत को चुनौती देने के रूप में सामने आया है, जिसमें उनके बेटे लक्ष्यराजसिंहमेवाड़ और बेटी पद्मजाकुमारीपरमार आमने-सामने हैं।

This slideshow requires JavaScript.

भाईबहन के बीच टकराव:
सिटी पैलेस और एचआरएच होटल्स ग्रुप जैसी संपत्तियों के अधिकार को लेकर लक्ष्यराज और पद्मजा कुमारी में कड़ा टकराव है। वर्तमान में मेवाड़ परिवार के उत्तराधिकारी माने जाने वाले लक्ष्यराज सिंह एचआरएच होटल्स ग्रुप का संचालन कर रहे हैं। इस विवाद से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई पहले अलग-अलग अदालतों में चल रही थी, जिससे कानूनी प्रक्रिया और जटिल हो गई थी।

वसीयत की वैधता पर सवाल:
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के अनुसार, याचिकाकर्ता अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार से जुड़े हैं। अरविंद सिंह का निधन इस वर्ष 16 मार्च को हुआ। अब परिवार के भीतर उत्तराधिकार और वसीयत की वैधता को लेकर मतभेद उभरे हैं, और इसी आधार पर उनकी वसीयत को चुनौती दी गई है।

दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई:
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर विवादित मामलों को अब दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि भविष्य में जुड़े अन्य मामलों को भी वहीं स्थानांतरित किया जा सकता है।

संपत्ति विवाद की शुरुआत:
मेवाड़ राजपरिवार में यह संपत्ति विवाद दशकों पुराना है। महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के तीन संतानें थीं – बड़े बेटे महेंद्र सिंह, छोटे बेटे अरविंद सिंह, और बेटी योगेश्वरी कुमारी। वर्ष 1983 में भगवत सिंह ने पारिवारिक संपत्तियों को बेचने और लीज पर देने का निर्णय लिया, जिसे बड़े बेटे महेंद्र सिंह ने स्वीकार नहीं किया। इसके बाद अदालत का रुख किया गया और पारिवारिक रिश्तों में खटास बढ़ गई।

वसीयत और उत्तराधिकार का टकराव:
महेंद्र सिंह से नाराज होकर भगवत सिंह ने वसीयत और संपत्तियों का प्रबंधन छोटे बेटे अरविंद सिंह को सौंप दिया। 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह मेवाड़ के निधन के बाद यह विवाद और गहरा गया।

5 साल पहले अदालती फैसले से बंटवारा:
करीब 37 साल की कानूनी लड़ाई के बाद 2020 में उदयपुर जिला अदालत ने विवादित संपत्तियों को चार हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। फैसले तक अधिकांश संपत्तियां अरविंद सिंह के नियंत्रण में रहीं, जबकि महेंद्र सिंह और योगेश्वरी कुमारी को सीमित हिस्सेदारी मिली। अदालत ने शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घासघर से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों पर भी तत्काल रोक लगाई थी।

इस विवाद ने मेवाड़ राजपरिवार में उत्तराधिकार और संपत्ति के मामलों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, और अब सभी की निगाहें दिल्ली हाईकोर्ट पर टिकी हैं।

Leave a Reply