
नई दिल्ली। वैश्विक कपड़ा और परिधान बाजार में भारत की पकड़ लगातार मजबूत होती जा रही है। नवंबर महीने में भारत के कपड़ा, परिधान और हस्तशिल्प निर्यात में 9.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह निर्यात बढ़कर 285.58 करोड़ डॉलर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 260.15 करोड़ डॉलर था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह उछाल बांग्लादेश के लिए एक बड़ा झटका है। लंबे समय से वैश्विक रेडीमेड गारमेंट (RMG) बाजार में भारत का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी रहा बांग्लादेश, इस समय राजनीतिक अस्थिरता, श्रमिक आंदोलनों और ऊर्जा संकट से जूझ रहा है। इसका सीधा असर वहां की सप्लाई चेन पर पड़ा है।
ग्लोबल ब्रांड्स का भरोसा भारत पर
बांग्लादेश में जारी अनिश्चित हालात के चलते अंतरराष्ट्रीय ब्रांड अब जोखिम से बचने के लिए भारत की ओर रुख कर रहे हैं। भारत को वे एक स्थिर, सुरक्षित और भरोसेमंद विकल्प के रूप में देख रहे हैं। यही कारण है कि भारत के कपड़ा निर्यात में यह तेज़ बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
अमेरिका, भारी टैरिफ लगाए जाने के बावजूद, भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग का सबसे बड़ा निर्यात बाजार बना हुआ है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग का कुल आकार 179 अरब डॉलर रहने का अनुमान है, जिसमें 142 अरब डॉलर का घरेलू बाजार और 37 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है।
हर श्रेणी में मजबूत ग्रोथ
नवंबर 2025 में लगभग सभी प्रमुख श्रेणियों में निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई—
- रेडीमेड गारमेंट्स (RMG): 11.3% की बढ़ोतरी
- मैनमेड यार्न, फैब्रिक्स और मेड-अप्स: 15.7% की बढ़ोतरी
- कॉटन यार्न, फैब्रिक्स, हैंडलूम उत्पाद: 4.1% की ग्रोथ
- हस्तशिल्प (कालीन को छोड़कर): 29.7% का जोरदार उछाल
जनवरी से नवंबर 2025 के बीच कपड़ा और परिधान निर्यात (हस्तशिल्प को छोड़कर) 3,256 करोड़ डॉलर रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले थोड़ा अधिक है।
बांग्लादेश का दबदबा खतरे में?
आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था का करीब 80 प्रतिशत निर्यात राजस्व टेक्सटाइल सेक्टर से आता है। हाल के महीनों में वहां की राजनीतिक उथल-पुथल, मजदूरों के प्रदर्शन और बिजली संकट ने इस उद्योग को गहरी चोट पहुंचाई है।
इसके उलट, भारत को कच्चे कपास की पर्याप्त उपलब्धता, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और हालिया लेबर रिफॉर्म्स का लाभ मिल रहा है। बांग्लादेश जहां कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर है, वहीं भारत की घरेलू आपूर्ति श्रृंखला उसे प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देती है।
गारमेंट किंग बनने की ओर भारत
विश्लेषकों का कहना है कि यदि मौजूदा रुझान जारी रहा और बांग्लादेश अपनी आंतरिक समस्याओं से जल्द नहीं उबर पाया, तो भारत दक्षिण एशिया के गारमेंट हब के रूप में बांग्लादेश की जगह ले सकता है। नवंबर के आंकड़े इस बात के साफ संकेत हैं कि वैश्विक कपड़ा कारोबार में ताकत का संतुलन धीरे-धीरे भारत के पक्ष में झुक रहा है।