Wednesday, December 17

हिमालय की गोद में चीन बना रहा दुनिया का सबसे शक्तिशाली रहस्यमय बांध, वैज्ञानिक भी कांप रहे, टूटने पर भारत में तबाही का खतरा

बीजिंग/नई दिल्ली: चीन हिमालय के दुर्गम इलाके में दुनिया के सबसे शक्तिशाली हाइड्रोपावर डैम का निर्माण कर रहा है। यह बांध तिब्बत की यारलुंग त्सांगपो नदी पर बन रहा है, जो आगे चलकर भारत में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना के नाम से जानी जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों के अनुसार, इस परियोजना की लागत लगभग 168 अरब डॉलर है और इसे चीन के थ्री गॉर्जेस डैम से तीन गुना अधिक बिजली उत्पादन क्षमता वाला बताया जा रहा है।

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खतरनाक असर और पर्यावरणीय चिंता:
चीन का दावा है कि यह परियोजना स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए जरूरी है। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इस बांध से भारत और बांग्लादेश में रहने वाले लाखों लोग प्रभावित होंगे। मछली पकड़ना, खेती और पारंपरिक इकोसिस्टम पर गहरा असर पड़ेगा। इसी वजह से इस प्रोजेक्ट को भारत में ‘वाटर बम’ कहा जा रहा है।

रहस्यमय डिजाइन और सुरक्षा खतरा:
CNN की रिपोर्ट के अनुसार, यह बांध न केवल विशाल है बल्कि रहस्यमय भी है। यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनने वाले सिस्टम का डिज़ाइन पूरी तरह सार्वजनिक नहीं किया गया है। इसे “YX प्रोजेक्ट” कहा जाता है और इसका नेटवर्क पहाड़ों के भीतर सुरंगों और भूमिगत पावर स्टेशनों का जटिल जाल हो सकता है। इस क्षेत्र में भूकंप, भूस्खलन और ग्लेशियल झीलों के फटने का खतरा हमेशा बना रहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बांध में कोई संरचनात्मक कमजोरी आई तो इसके प्रभाव सिर्फ चीन तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि भारत और बांग्लादेश में करोड़ों लोग इसके कारण तबाही का सामना कर सकते हैं।

भारत और बांग्लादेश पर असर:
भारत और बांग्लादेश के निचले इलाकों में रहने वाले लाखों लोग इस नदी पर निर्भर हैं। बांध टूटने या अचानक जल निकासी की स्थिति में, यह क्षेत्र सचमुच ‘वाटर बॉम्ब’ जैसी आपदा का सामना कर सकता है।

चीन का पक्ष:
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि परियोजना “दशकों की गहन रिसर्च” के बाद तैयार की जा रही है और इंजीनियरिंग तथा पर्यावरण सुरक्षा के पूरे उपाय लागू किए गए हैं। चीन ने यह भी कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और निचले देशों के साथ बातचीत जारी रहेगी।

इस पूरी स्थिति ने क्षेत्रीय सुरक्षा, पारिस्थितिकी और जल संसाधनों को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वैज्ञानिक और रणनीतिक विशेषज्ञ चीन के इस मेगा प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहे हैं और इसे लेकर सतर्कता बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं।

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