
बच्चों के कुछ व्यवहार पेरेंट्स को अक्सर असहज और शर्मिंदा कर देते हैं। इनमें से एक आम स्थिति है बच्चे का अपने प्राइवेट पार्ट को बार-बार छूना या खींचना। कई बार यह सार्वजनिक स्थानों पर भी देखने को मिलता है, जिससे माता-पिता घबराते हैं। हाल ही में पीडियाट्रिशियन डॉ. निमिषा अरोड़ा ने इस विषय पर पेरेंट्स को महत्वपूर्ण सलाह दी है।
यह नॉर्मल बिहेवियर है
डॉ. अरोड़ा के अनुसार, बच्चे का अपने प्राइवेट पार्ट को छूना एक सामान्य और प्राकृतिक व्यवहार है। यह टॉडलर से लेकर प्री-स्कूलर उम्र तक देखा जा सकता है। जैसे बच्चे अपनी आंख, कान या नाक को एक्सप्लोर करते हैं, वैसे ही वे अपने शरीर के अन्य हिस्सों को भी समझने की कोशिश करते हैं।
बच्चों का शरीर एक्सप्लोर करना सामान्य है
चार से छह महीने की उम्र में बच्चे अपनी बॉडी को एक्सप्लोर करना शुरू कर देते हैं। यह उनकी क्यूरियोसिटी और सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
पेरेंट्स को ओवररिएक्ट नहीं करना चाहिए
अक्सर पेरेंट्स ऐसे मामलों में बच्चे पर चिल्ला देते हैं या डांट लगाते हैं। डॉ. अरोड़ा बताती हैं कि यह ओवररिएक्शन बच्चे के मन में सेक्सुएलिटी को लेकर गिल्ट की भावना पैदा कर सकता है।
सही समय पर सही जानकारी दें
जब बच्चा दो से ढाई साल का हो जाए और धीरे-धीरे अपने शरीर को समझने लगे, तो पेरेंट्स को एनाटॉमिकली सही नाम सिखाना चाहिए। उदाहरण के लिए:
- “बेटा, यह तुम्हारा पेनिस है।”
- “यह वेजाइना है।”
सार्वजनिक स्थानों पर व्यवहार डायवर्ट करें
यदि बच्चा पब्लिक में ऐसा कर रहा है, तो शांतिपूर्ण तरीके से उसे पैंट या डायपर पहनाएं और ध्यान किसी दूसरी गतिविधि की ओर मोड़ दें। इससे बच्चा सीखता है कि पब्लिक में ऐसे व्यवहार की अनुमति नहीं है।
कब डॉक्टर से संपर्क करें
बच्चे की आदत सामान्यतः स्कूल जाने के दौरान अपने आप धीरे-धीरे खत्म हो जाती है।
हालांकि, यदि बच्चे के प्राइवेट पार्ट में खुजली, रेडनेस, इंफेक्शन दिखाई दे, या यह आदत लगातार बढ़ रही हो, तो तुरंत पीडियाट्रिशियन से संपर्क करना चाहिए।
डॉ. अरोड़ा की सलाह: बच्चों की क्यूरियोसिटी को समझें, धैर्य रखें और ओवररिएक्ट न करें। सही मार्गदर्शन और प्यार से यह व्यवहार सामान्य रूप से नियंत्रित हो जाएगा।