
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच 100 अरब डॉलर का बड़ा व्यापार घाटा है। लेकिन इस साल पेट्रोलियम उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में जबरदस्त बढ़ोतरी ने भारत को बड़े आर्थिक नुकसान से बचा लिया है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर 2025 में चीन को भारत का निर्यात 12.22 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल की तुलना में 32.83% ज्यादा है। वहीं अप्रैल-नवंबर 2024 में यह आंकड़ा 9.20 अरब डॉलर था।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बढ़ोतरी ने भारत के निर्यात में विविधता (डायवर्सिफिकेशन) को दिखाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए 50% टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में नुकसान हुआ था, जिसे चीन और अन्य देशों में निर्यात बढ़ाकर कुछ हद तक पूरा किया जा सका।
चीन को निर्यात में सबसे बड़ा योगदान पेट्रोलियम उत्पादों का रहा। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक सामान, समुद्री उत्पाद और तेल खली ने निर्यात में अहम भूमिका निभाई। एक अधिकारी के अनुसार, यह वृद्धि चीन के बाजार में भारतीय कंपनियों की पकड़ मजबूत होने का संकेत है।
महत्व: भारत और चीन के बीच व्यापार में यह बदलाव इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत का चीन के साथ लगातार बढ़ता ट्रेड डेफिसिट चिंताजनक रहा है। पेट्रोलियम और इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में वृद्धि से इस घाटे को कम करने में मदद मिली है।
व्यापार घाटा क्या है?
व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश का आयात, उसके निर्यात से ज्यादा होता है। आसान शब्दों में, जब कोई देश विदेश से खरीदे गए माल और सेवाओं पर जितना खर्च करता है, वह उससे कम विदेश को अपने माल और सेवाओं की बिक्री से कमाता है, तो इसे व्यापार घाटा कहते हैं।
इस बढ़ोतरी से यह साफ दिखता है कि भारत ने वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सफल कदम उठाए हैं।