
नई दिल्ली: उच्च शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने और 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (GER) का लक्ष्य हासिल करने के लिए संसद की शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल संबंधी स्थायी समिति ने नई सिफारिशें पेश की हैं। समिति ने कहा है कि डिस्टेंस और ऑनलाइन लर्निंग को मजबूत बनाना अब जरूरी है, ताकि अधिक छात्रों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंच सके।
समिति की प्रमुख सिफारिशें:
- नियमों की समीक्षा:
वर्तमान में UGC के नियम और NAAC की मान्यता प्रक्रिया कई विश्वविद्यालयों को नए ऑनलाइन या साइंस कोर्स शुरू करने से रोकते हैं। समिति ने सुझाव दिया कि UGC और NAAC मिलकर नियमों की समीक्षा करें ताकि अधिक संस्थानों को ऑनलाइन शिक्षा का अवसर मिल सके और छात्रों के लिए विकल्प बढ़े। - मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम:
यूनिवर्सिटीज में इस सिस्टम को लागू करने के लिए सहयोग बढ़ाना आवश्यक है। इसके तहत छात्र एक वर्ष का सर्टिफिकेट, दो वर्ष का डिप्लोमा और तीन साल की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही कौशल विकास को भी पाठ्यक्रम में शामिल करना जरूरी है। चार साल के डिग्री कोर्स को अधिक विश्वविद्यालयों में चलाने के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाना चाहिए। - फैकल्टी और खाली पदों की पूर्ति:
विश्वविद्यालयों में फैकल्टी की संख्या बढ़ाई जाए और सभी खाली पदों को भरा जाए, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखी जा सके। - विशेष संस्थानों को मान्यता:
लद्दाख के HIAL (Himalayan Institute of Alternatives) को UGC मान्यता देने की सिफारिश की गई है। इसका स्थानीय समुदायों पर प्रभाव और भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) एवं अनुभवात्मक शिक्षा में योगदान महत्वपूर्ण माना गया है। - स्वायत्त संस्थानों के JRF की राशि वृद्धि:
जूनियर रिसर्च फैलोशिप (JRF) की राशि बढ़ाई जाए ताकि शोध और अकादमिक प्रोत्साहन बढ़ सके।
समिति ने जोर दिया कि NEP 2020 के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ऑनलाइन और डिस्टेंस शिक्षा का विस्तार, अधिक पारदर्शी NAAC प्रक्रिया और मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम अनिवार्य हैं।
इस कदम से न केवल छात्रों को शिक्षा के विकल्प बढ़ेंगे, बल्कि उच्च शिक्षा तक पहुँच भी व्यापक और समावेशी बनेगी।