
भोपाल। दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक दुर्घटनाओं में शामिल भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर बुधवार को मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी अवकाश घोषित किया। स्कूल-कॉलेजों सहित तमाम सरकारी दफ्तर बंद रहे। शाम के समय शहर में निकली मोमबत्ती रैली और मशाल जुलूस ने 1984 की उस काली रात की दर्दनाक यादों को फिर जगा दिया, जिसे भोपाल आज भी भूल नहीं पाया है।
इस अवसर पर बरकतुल्लाह भवन में सभी धर्मों के धर्मगुरुओं की उपस्थिति में सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित की जाएगी। गैस राहत मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
2–3 दिसंबर 1984 की रात: जब मौत ने ली थी करवट
2–3 दिसंबर 1984 की उसी भयावह रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के एक टैंक से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। जहरीली गैस कुछ ही मिनटों में आसपास की बस्तियों तक फैल गई।
लोग नींद में ही दम तोड़ते रहे, गलियों में भगदड़ मच गई और फैक्ट्री के पास लाशों की पंक्तियाँ नजर आने लगीं। हजारों लोग तुरंत मारे गए और लाखों प्रभावित हुए जिनका दर्द आज 41 साल बाद भी कम नहीं हुआ है।
भोपाल में श्रद्धांजलि कार्यक्रम, पीड़ितों की दर्दभरी पुकार
त्रासदी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए संभावना ट्रस्ट क्लिनिक द्वारा छोला गणेश मंदिर से गैस माता मंदिर तक रैली निकाली गई।
वहीं, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन ने शाहजहानी पार्क से मशाल-कैंडिल जुलूस निकाला।
संगठन के संयोजक शावर खान ने कहा—
“गैसकांड को भले 40 से ज़्यादा साल गुजर गए हों, लेकिन पीड़ित आज भी इस त्रासदी का जहर झेल रहे हैं। फैक्ट्री परिसर में मौजूद जहरीला कचरा आज भी 5 किलोमीटर के दायरे में पानी को दूषित कर रहा है। हजारों लोग गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। सरकार पीड़ितों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दे और मुआवजा पांच गुना बढ़ाया जाए।”
41 साल बाद भी न मिटे जख्म
गैस त्रासदी की कहानियाँ आज भी लोगों की आँखें नम कर देती हैं।
किसी ने अपने पति-बेटे को खो दिया, किसी की पूरी की पूरी पीढ़ी खत्म हो गई।
उस रात का धुआँ इतना घना था कि पहचानना मुश्किल था, और चीखें इतनी तेज कि बात करना भी नामुमकिन।
इतना समय गुजर जाने के बावजूद, फैक्ट्री का जहरीला कचरा अब भी जमीन और पानी को प्रदूषित कर रहा है। परिणामस्वरूप हजारों परिवार आज भी गंभीर बीमारियों, आर्थिक तंगी और मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं।