
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 21 नवंबर 2025 को श्रम कानूनों में बड़ा सुधार किया है। अब कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि सिर्फ 1 साल नौकरी करने पर भी लाभ मिलेगा। यह बदलाव फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों के लिए भी लागू होगा, जो पहले इस सुविधा से वंचित थे।
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 29 पुराने कानूनों को मिलाकर 4 नए कानून बना दिए हैं। नए नियमों के तहत कंपनियों को अब कर्मचारियों की कम से कम 50% बेसिक सैलरी रखना अनिवार्य है। इसके साथ ही पीएफ और ग्रेच्युटी की रकम भी बढ़ेगी।
फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को पक्के कर्मचारियों जैसी सुविधाएं:
नए नियमों के अनुसार, फिक्स्ड टर्म कर्मचारी अब छुट्टियां, मेडिकल सुविधा और सामाजिक सुरक्षा जैसी सुविधाओं का हक़दार होंगे। सरकार का मानना है कि इससे कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों को रखने के बजाय सीधे भर्ती करेंगी।
ग्रेच्युटी क्या है और कैसे होती है गणना?
ग्रेच्युटी वह आर्थिक लाभ है जो कंपनी कर्मचारियों को उनकी सेवा के बदले देती है। इसकी गणना इस फॉर्मूले से होती है:
ग्रेच्युटी = (आखिरी महीने की सैलरी) x (15/26) x (सेवा के साल)
उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और डीए मिलाकर 50,000 रुपये है और उसने 5 साल काम किया है, तो उसकी ग्रेच्युटी होगी:
50,000 x (15/26) x 5 = करीब 1.44 लाख रुपये
1 साल में ग्रेच्युटी का फायदा:
पहले फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों का कार्यकाल अक्सर 5 साल से कम होता था, इसलिए वे ग्रेच्युटी पाने से वंचित रहते थे। अब सिर्फ 1 साल की नौकरी पूरी करने पर भी ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा, जिससे यह कर्मचारियों के लिए बड़ी आर्थिक सुरक्षा साबित होगी।
सरकार का लक्ष्य है कि यह बदलाव कर्मचारियों की सुरक्षा बढ़ाए और कंपनियों को स्थायी भर्ती की ओर प्रेरित करे।