
लखनऊ। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के ताज़ा किश्त भुगतान में उत्तर प्रदेश के लाखों किसानों को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश के 2 करोड़ 34 लाख 61 हजार 696 किसानों में से केवल 2 करोड़ 15 लाख 71 हजार 323 किसानों को ही सम्मान निधि की राशि प्राप्त हो सकी, जबकि 1 करोड़ 89 लाख 373 किसान इसका लाभ नहीं ले पाए।
इस बड़ी गड़बड़ी की मुख्य वजह ई-केवाईसी का पूरा न होना और आधार व खतौनी में दर्ज नामों में असमानता सामने आई है।
★ अब बदलेगा सिस्टम, आधार से खतौनी में नाम बदलने की सुविधा
राजस्व परिषद ने किसानों की इस समस्या को देखते हुए बड़ा निर्णय लिया है। अब जल्द ही किसान आधार कार्ड में दर्ज नाम के अनुसार खतौनी में नाम बदलवा सकेंगे।
इसके लिए लेखपाल यह प्रमाणित करेगा कि खतौनी और आधार कार्ड—दोनों में नाम एक ही व्यक्ति के हैं। इस सुविधा के शुरू होते ही लाखों किसानों को ई-केवाईसी कराने में आने वाली दिक्कत दूर हो जाएगी।
इस कदम से प्रदेश के करीब तीन करोड़ किसानों को सीधा लाभ मिलने का अनुमान है।
★ आधार से गाटा संख्या लिंक करने की तैयारी
प्रदेश सरकार खतौनी को आधार से लिंक करने के बाद अब सभी गाटा नंबरों को भी आधार से जोड़ने की तैयारी कर रही है। इससे यह जानना आसान हो जाएगा कि किसी व्यक्ति के नाम पर यूपी के किन-किन जिलों में कितनी जमीन है।
★ क्या कहता है सीलिंग एक्ट?
सीलिंग एक्ट के अनुसार यूपी में किसी एक व्यक्ति के नाम—
- सिंचित भूमि: अधिकतम 18 एकड़
- असिंचित भूमि: अधिकतम 27 एकड़
- बाग/ऊसर भूमि: अधिकतम 45 एकड़
से अधिक जमीन नहीं हो सकती। तय सीमा से अधिक भूमि स्वतः सरकार के नाम दर्ज किए जाने का प्रावधान है। आधार से भूमि रिकॉर्ड जोड़ने के बाद इस नियम के पालन में पारदर्शिता और तेजी आएगी।
★ क्यों नहीं मिली सम्मान निधि की राशि?
ई-केवाईसी न होने और आधार-खतौनी में नाम असमानता होने के कारण बड़ी संख्या में किसानों के बैंक खातों में सम्मान निधि की राशि नहीं पहुंच सकी। विभाग का मानना है कि नई सुविधा लागू होने के बाद अगली किस्त में इस समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा।