
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि इस बार जनता ने जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को भरोसा दिया। एनडीए ने एग्जिट पोल और शुरुआती रुझानों से भी आगे बढ़कर जीत का रास्ता तय कर लिया है। जेडीयू को 76 और बीजेपी को 86 सीटों पर बढ़त मिली है, जबकि महागठबंधन में आरजेडी महज 32 और कांग्रेस 7 सीटों पर आगे है।
महागठबंधन में शामिल सीपीआई (माले) को भी बिहार चुनाव में भारी नुकसान हुआ है। पार्टी ने कुल 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से केवल 4 सीटों पर ही बढ़त दर्ज हुई। वोट शेयर की बात करें तो पार्टी के खाते में केवल 3.16% वोट ही गया।
सीपीआई (माले) की दुर्गति के प्रमुख कारण:
- आरजेडी के साथ तालमेल में कमी:
महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान रही। कई सीटों पर पार्टी अपने ही गठबंधन साथी के खिलाफ चुनाव लड़ती नजर आई। - सीटों पर आमने-सामने मुकाबला:
लालगंज, वैशाली, कहलगांव, सुल्तानगंज, वारसलीगंज और सिकंदरा जैसी सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी ने अपने प्रत्याशी उतारे, जिससे वोट बंट गया। - सीपीआई और कांग्रेस का टकराव:
करगहर, बिहारशरीफ, राजापाकड़ और बछवाड़ा में सीपीआई (माले) और कांग्रेस आमने-सामने थी, जिससे पार्टी की जीत की संभावना प्रभावित हुई। - महागठबंधन के कमजोर प्रदर्शन का असर:
आरजेडी को बिहार में जनता ने नकारा, इसका खामियाजा सहयोगी दल सीपीआई (माले) को भी भुगतना पड़ा। - सीटों की संख्या में कमी:
2020 में पार्टी ने 12 सीटें जीतकर विधानसभा में स्थान बनाया था, लेकिन इस बार मात्र 4 सीटों पर ही बढ़त दर्ज हो रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन में आपसी खींचतान, रणनीति की कमी और आरजेडी के कमजोर प्रदर्शन ने सीपीआई (माले) समेत सभी सहयोगी दलों के लिए चुनाव को चुनौतीपूर्ण बना दिया।