Friday, November 14

अंता उपचुनाव 2025: बीजेपी की हार, जानें 10 बड़ी वजहें

बारां: राजस्थान के बारां जिले की अंता विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने भारी मतों से जीत दर्ज की। भाजपा के उम्मीदवार मोरपाल सुमन तीसरे नंबर पर खिसक गए। इस उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के रोड शो और सभाएं भी बीजेपी के लिए लाभकारी साबित नहीं हो सकीं।

विश्लेषकों के अनुसार, बीजेपी की हार के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण सामने आए हैं, जिनमें जातिगत समीकरण, स्थानीय मुद्दों पर असंतोष, युवा मतदाताओं की नाराज़गी और कांग्रेस का संगठित चुनाव प्रबंधन प्रमुख हैं।

बीजेपी की हार के 10 मुख्य कारण:

  1. प्रमोद जैन भाया का मजबूत नेटवर्क और नरेश मीणा का आक्रामक प्रचार
    कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया इस क्षेत्र में चार चुनाव लड़ चुके हैं और उनका मजबूत स्थानीय नेटवर्क रहा। वहीं निर्दलीय नरेश मीणा ने भाजपा के वोट बैंक पर असर डाला।
  2. जातिगत समीकरण बीजेपी के खिलाफ गए
    सामान्य वर्ग की इस सीट पर भाजपा के कोर वोट बैंक में सेंधमारी हुई। बनिया, ब्राह्मण और सैनी समाज के वोट भाजपा के हाथों से छूट गए।
  3. स्थानीय मुद्दों पर असंतोष
    झालावाड़ स्कूल हादसा, SMS अस्पताल आगजनी और ‘5 बकरियों वाला मुआवजा’ विवाद ने भाजपा सरकार की छवि को प्रभावित किया।
  4. दो साल के ‘कुशासन’ का आरोप
    विपक्ष ने भाजपा सरकार की दो साल की कार्यशैली को जनता के विरोध का कारण बताया।
  5. कांग्रेस का बेहतर चुनाव प्रबंधन
    बूथ प्रबंधन और संगठित रणनीति के चलते कांग्रेस ने भाजपा पर बढ़त बनाई।
  6. नरेश मीणा का उभार
    युवा और बागी वोटों ने भाजपा के लिए खतरा पैदा किया। नरेश मीणा की छवि ने एंटी-बीजेपी वोटों को एकजुट किया।
  7. बीजेपी–कांग्रेस मिलीभगत के आरोप
    जनता में यह धारणा बनी कि बड़ी पार्टियां टिकट और पेपर लीक मामले में सौदेबाजी करती हैं।
  8. स्थानीय नेताओं पर गंभीर टिप्पणी
    नरेश मीणा और उनके समर्थकों ने भाजपा नेताओं के खिलाफ कड़ा माहौल बनाया।
  9. सीएम और वसुंधरा राजे की रैलियों का उल्टा असर
    रोड शो और सभाओं ने स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा न होने का संदेश दिया।
  10. युवा वर्ग का असंतोष
    युवाओं ने भाजपा की नीतियों से नाराज़ होकर कांग्रेस और बागी उम्मीदवारों को समर्थन दिया।

निष्कर्ष: अंता उपचुनाव में बीजेपी की हार ने दिखा दिया कि स्थानीय मुद्दों और जातीय समीकरणों को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। कांग्रेस की संगठित रणनीति और बागी उम्मीदवारों की छवि ने इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाई।

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