
बारां/अंता। राजस्थान की एकमात्र अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। अब मैदान में स्टार प्रचारकों की एंट्री के साथ मुकाबला और दिलचस्प होता जा रहा है। बुधवार से कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने अपने शीर्ष नेताओं को प्रचार में झोंक दिया है।
सचिन पायलट आज करेंगे तीन बड़े रोड शो
कांग्रेस के स्टार प्रचारक और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट आज अंता, सीसवाली और मांगरोल कस्बों में रोड शो करेंगे। वे पार्टी प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया के समर्थन में मतदाताओं से मतदान की अपील करेंगे। रोड शो की शुरुआत अंता एनटीपीसी तिराहे से होगी, जो शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए विभिन्न स्थानों पर नुक्कड़ सभाओं के रूप में संपन्न होगा।
इस दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा भी पायलट के साथ रहेंगे। कांग्रेस ने इस उपचुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है — करीब 56 नेताओं को अंता क्षेत्र में लगाया गया है।
भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे कल करेंगी रोड शो
वहीं भारतीय जनता पार्टी भी पीछे नहीं है। गुरुवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी प्रत्याशी मोरपाल सुमन के समर्थन में अंता और मांगरोल में रोड शो करेंगे।
राजे बीते तीन दिनों से अंता क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं और लगातार कार्यकर्ताओं से 1-टू-1 मुलाकात कर रही हैं। इस चुनाव को उनकी प्रतिष्ठा से भी जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि मोरपाल सुमन उनकी पसंद का प्रत्याशी माना जा रहा है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, सांसद दुष्यंत सिंह और डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बेरवा भी क्षेत्र में सक्रिय हैं। भाजपा ने दर्जनों मंत्री-विधायकों को प्रचार अभियान में झोंक दिया है।
7 नवंबर को बेनीवाल की संभावित एंट्री से बढ़ी हलचल
इधर, आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के अंता उपचुनाव में एंट्री की चर्चा ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि वे 7 नवंबर को निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के समर्थन में प्रचार कर सकते हैं।
मीणा को पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा का समर्थन पहले से मिला हुआ है, वहीं आम आदमी पार्टी भी उनके पक्ष में मैदान में उतर चुकी है।
9 नवंबर को थमेगा प्रचार, 11 नवंबर को मतदान
अंता उपचुनाव में 9 नवंबर को प्रचार थम जाएगा, 10 नवंबर को मतदान दल रवाना होंगे और 11 नवंबर को वोटिंग होगी। अब दोनों प्रमुख दलों और तीसरे मोर्चे के नेताओं के बीच अगले पांच दिन सियासी संग्राम का निर्णायक दौर साबित होंगे।