
नई दिल्ली, 22 नवंबर। भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने अपने विदाई समारोह में अपने कार्यकाल के महत्वपूर्ण फैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि उनसे पूछा जाए कि उन्होंने अब तक का सबसे अहम फैसला कौन सा लिखा है, तो वह ‘बुलडोजर न्याय’ (Bulldozer Justice) के खिलाफ दिया गया निर्णय होगा। CJI ने स्पष्ट कहा कि किसी आरोपी के खिलाफ केवल आरोप लगने भर से उसका घर गिराना कानून के शासन और संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
नवंबर 2024 में CJI गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बिना विधिक प्रक्रिया घर तोड़े जाने पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था:
- बुलडोजर से घर गिराना असंवैधानिक है
- सिर्फ आरोपों के आधार पर कार्रवाई कानून के राज का उल्लंघन है
- यह फैसला उन मामलों पर भी लागू होगा, जहाँ आरोपी गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए हों
पीठ ने ज़ोर दिया कि किसी भी प्रशासनिक कार्रवाई में कानूनी प्रक्रिया, नागरिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय का पालन अनिवार्य है। CJI गवई ने इस फैसले का जिक्र अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी किया था।
‘रहने का अधिकार मौलिक अधिकार’
कार्यक्रम में CJI गवई ने सवाल उठाया कि:
“किसी व्यक्ति पर आरोप लगने मात्र से उसका घर कैसे गिराया जा सकता है? उसके परिवार और माता-पिता की क्या गलती है?”
उन्होंने दोहराया कि रहने का अधिकार संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है, जिसे किसी भी स्थिति में नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
SC/ST सब-क्लासिफिकेशन को भी बताया अहम
विदाई संबोधन में CJI ने यह भी कहा कि राज्यों को SC और ST में सब-क्लासिफिकेशन की अनुमति देने वाला फैसला भी उनके कार्यकाल का महत्वपूर्ण निर्णय था।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का हवाला देते हुए उन्होंने कहा:
“समानता का अर्थ सभी को एक जैसा व्यवहार देना नहीं है, वरना इससे और असमानता पैदा होगी।”
“परंपरागत सोच से हटकर किया काम”
CJI गवई ने बताया:
- अपने छोटे कार्यकाल में उच्च न्यायालयों में 107 न्यायाधीशों की नियुक्ति हुई
- फैसलों में सहयोगी जजों से संवाद और सहमति को प्राथमिकता दी
- 40 वर्ष के कानूनी करियर में 18 वर्ष वकालत और 22 वर्ष न्यायिक सेवा में बिताए
उन्होंने अपने सहकर्मियों का आभार जताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में कार्य का माहौल सौहार्दपूर्ण रहा।